Assignment Answers
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Mp Bhoj Assignment Answers: विशेषता और पूरी जानकारी
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Ans. ऊष्मागतिकी के प्रथम और द्वितीय नियम (Thermodynamics First Law and Second Law) यहाँ दिए गए हैं:
ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम, जिसे ऊर्जा संरक्षण का नियम भी कहा जाता है, ऊर्जा के संगठन और परिवर्तन के संबंध में एक महत्वपूर्ण सिद्धांत प्रदान करता है। इसके अनुसार, ऊर्जा को न तो बनाया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है। यह नियम कहता है कि एक अवस्था से दूसरी अवस्था में जब भी सिस्टम परिवर्तित होता है, तो उसकी ऊर्जा बरकरार रहती है, बस उसकी रूपांतरण हो जाती है। इसका एक व्याख्यात्मक रूप है: "ऊर्जा का संपूर्ण राशि संरक्षित रहती है, यानी ऊर्जा उत्पन्न नहीं होती और नष्ट नहीं होती है।"
ऊष्मागतिकी (थर्मोडायनामिक्स) का द्वितीय नियम अवशोषण के नियम के रूप में जाना जाता है। यह नियम यह साबित करता है कि प्राकृतिक प्रक्रियाएं एक निर्धारित दिशा में होती हैं, जिसे अवशोषण की दिशा कहा जाता है। इसका अर्थ है कि एक बंद करेंगें प्रणाली जो संचरण के बाद वापसी नहीं करती है, एकाग्रता की दिशा में विकसित होती है। इस नियम के अनुसार, संचरणीय प्रक्रियाएं विद्यमान सामग्री में ऊर्जा का नष्ट होने का कारण बनती हैं, जिसे अवशोषण कहा जाता है। द्वितीय नियम के अनुसार, प्रणाली के साथ प्रयासों की आवश्यकता होती है ताकि अवशोषण की दिशा में होने वाली प्रक्रियाओं को उल्लंघन करने से बचा जा सके।
यह दोनों नियम थर्मोडायनामिक्स में महत्वपूर्ण हैं ।
प्रश्न 02 . गिब्स प्रावस्था नियम का ऊष्मागतिकी व्युत्पन्न को विस्तार से समझाइये?
Wrtie down the thermodynamic derivation of the Gibbs phase rule in brief?
Ans. गिब्स प्रावस्था नियम (Gibbs phase rule) थर्मोडायनामिक्स में प्रयुक्त होने वाला एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है, जो प्रदान करता है कि किसी विस्तारित उच्चतम स्थिति में एक पदार्थ के तत्विक स्थितियों की संख्या कितनी हो सकती है। यह नियम पदार्थों की अवस्थाओं को व्युत्पन्न करने वाले तत्वों की संख्या और अद्यतितों के समानता के माध्यम से संबंधित होता है।
गिब्स प्रावस्था नियम का ऊष्मागतिकी व्युत्पन्न को समझाने के लिए हम यह समझेंगे कि सिस्टम में कुल कितने प्रतिभाग होते हैं, जहां प्रतिभाग पदार्थों की समूह होती है जिनके समान विशेषताएं होती हैं। हम यह गणना करते हैं:
F = C - P + 2
यहाँ,
F - यथार्थिक स्वतंत्रता अद्यतित (degrees of freedom)
C - संबंधित संख्या (number of components)
P - संतति (number of phases)
संबंधित संख्या (C) एक प्रणाली में स्वतंत्र चुने गए तत्वों की संख्या होती है। संतति (P) सिस्टम में मौजूद अलग-अलग अवस्थाओं (phases) की संख्या होती है।
यदि हम यथार्थिक स्वतंत्रता अद्यतित (F) की संख्या निकाल सकें, तो हम समझ सकते हैं कि सिस्टम में कितने प्रतिभाग हो सकते हैं जहां प्रतिभाग पदार्थों की समूह होती है जिनके समान विशेषताएं होती हैं।
इस तरह, गिब्स प्रावस्था नियम सिस्टम की स्थिति के लिए महत्वपूर्ण एक मानक सिद्धांत प्रदान करता है, जिसका उपयोग पदार्थों की संख्या और संततियों की संख्या के आधार पर एकता का विश्लेषण करने के लिए किया जाता है।
प्रश्न 03. अर्हिनीयस का विद्युत अपघटन का सिद्धांत एवं सीमाए क्या है। विस्तार पूर्वक समझाईये।
Explain the Arrhenius theory of electrolyte dissociation and its limitation.
Ans. अहिनीयस (Arrhenius) का विद्युत अपघटन (electrolyte dissociation) का सिद्धांत, जिसे अहिनीयस सिद्धांत भी कहा जाता है, विद्युत रासायनिक प्रक्रियाओं को समझने और व्याख्या करने के लिए एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है। इस सिद्धांत के अनुसार, एक अपघटक (electrolyte) विद्युत प्रवाह के दौरान यों कर गया जाता है कि वह धातुओं में विचलित होता है, और यह विचलन इयों (ions) के रूप में होता है।
अहिनीयस सिद्धांत के अनुसार, जब एक अपघटक पानी या किसी अन्य विद्युत माध्यम में घुलनशील होता है, तो यह यों कर गया जाता है कि वह धातुओं के अद्यतन के बिना विचलित हो जाता है। इस विचलन के दौरान, अपघटक धातुओं में धातुओं के विभिन्न द्रव्यमान (ions) के रूप में विभाजित हो जाते हैं, और ये विभाजित धातुओं विद्युत प्रवाह को प्रभावित करते हैं।
अहिनीयस सिद्धांत की सीमाएं:
- सिद्धांत केवल विद्युत चालकों (electrolytes) के लिए ही लागू होता है, जो पानी या अन्य विद्युत माध्यम में घुलनशील हो सकते हैं।
- इस सिद्धांत के अनुसार, धातुओं का पूरा विचलन अचानक और पूर्ण होता है, जो वास्तविकता में हमेशा नहीं होता है। कुछ अपघटकों के अपघटन प्रक्रिया का विचलन सामान्य तत्वों के साथ निरंतर होता है, जबकि कुछ अन्य अपघटकों का विचलन अवसादपूर्ण होता है और विद्युत प्रवाह के बदलते आवेश (concentration) के साथ संबंधित होता है।
अहिनीयस सिद्धांत के बावजूद, यह विद्युत अपघटन के लिए महत्वपूर्ण एक सिद्धांत है, जो विद्युत रासायनिक प्रक्रियाओं की समझ में मदद करता है। इसके अलावा, इसका उपयोग विभिन्न विज्ञान और औद्योगिक क्षेत्रों में भी होता है, जैसे कि बैटरी तकनीक, विद्युत वायरिंग, और विद्युत सेल की तकनीक में।
प्रश्न 04. उत्क्रमणीय इलेक्ट्रोडो के सभी प्रकारो को विस्तार पूर्वक समझाइये।
Explain the all types of reversible electrode in brief.
Ans. उत्क्रमणीय इलेक्ट्रोड (Reversible Electrode) विद्युतर्क प्रणाली में उपयोग होने वाले विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रोड होते हैं, जो प्रतिक्रिया और विद्युत प्रवाह को पूर्ण रूप से वापसी कर सकते हैं। ये इलेक्ट्रोड सामान्यतः विद्युत उत्क्रमण (Electrochemical Reaction) को प्रतिरोधी करने वाले तत्वों और तत्वमानों से बने होते हैं और उनका प्रयोग विभिन्न विद्युत उत्पादों के अद्यतन (Measurement) और विश्लेषण (Analysis) में किया जाता है।
यहाँ विभिन्न प्रकार के उत्क्रमणीय इलेक्ट्रोड के बारे में संक्षेप में बताया गया है:
1. स्थिर धातु इलेक्ट्रोड (Solid Metal Electrode):
इस प्रकार का इलेक्ट्रोड एक धातु या धातु धातु युक्त पदार्थ का निर्माण करता है। इसमें विद्युत उत्पन्न होता है जब धातु और इलेक्ट्रोलाइट के बीच विद्युतधारा बिताई जाती है। उदाहरण के रूप में, हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड (Hydrogen Electrode) और स्थिर आर्द्रता इलेक्ट्रोड (Saturated Calomel Electrode, SCE) शामिल होते हैं।
2. द्रवीय इलेक्ट्रोड (Liquid Electrode):
इस प्रकार के इलेक्ट्रोड में, एक तरल अवयव एक तरल इलेक्ट्रोलाइट के साथ मिश्रित होता है। इसमें एक विद्युतर्क यंत्र प्रयोग करके विद्युत उत्पन्न होता है। उदाहरण के रूप में, स्थिर ताप इलेक्ट्रोड (Thermal Electrode) और आर्द्रता इलेक्ट्रोड (Wet Electrode) शामिल होते हैं।
3. गैसीय इलेक्ट्रोड (Gas Electrode):
इस प्रकार के इलेक्ट्रोड में, एक गैसीय अवयव एक गैसीय इलेक्ट्रोलाइट के साथ संपर्क में होता है। ये इलेक्ट्रोड आमतौर पर विद्युतर्क को मापन करने के लिए उपयोग होते हैं। उदाहरण के रूप में, ऑक्सीजन इलेक्ट्रोड (Oxygen Electrode) और हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड (Hydrogen Electrode) शामिल होते हैं।
इन सभी प्रकार के इलेक्ट्रोड विद्युतर्क विज्ञान में महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इन्हें विद्युत उत्पादों के अद्यतन को मापन और विश्लेषण करने के लिए उपयोग किया जाता है।
प्रश्न 05. फ्रेण्डलिच तथा लेग्म्योर अधिशोषण समतापी प्रक्रम को विस्तार पूर्वक समझाइये ।
Write down the full details about Freundllich and Langmuir adsorption isotherms?
Ans. फ्रेंडलिच (Freundlich) और लेंगम्यूइर (Langmuir) अधिशोषण समतापी प्रक्रम विद्युतर्क रसायनिक प्रक्रिया में अधिशोषण (adsorption) की माप और विश्लेषण करने के लिए प्रयोग होने वाले दो प्रमुख मापनिकीय प्रतिष्ठान हैं। इन प्रक्रमों का उपयोग अधिशोषित पदार्थ (adsorbate) और अधिशोषक (adsorbent) के बीच संचरण की प्रक्रिया को समझने के लिए किया जाता है।
1. फ्रेंडलिच अधिशोषण समतापी प्रक्रम:
फ्रेंडलिच समतापी प्रक्रम का प्रतिष्ठान यह दावा करता है कि अधिशोषण की मात्रा (amount) अधिशोषित पदार्थ के अधिशोषण प्रतिस्थापन के साथ अनुपातिक होती है। इस प्रक्रम को फ्रेंडलिच इकाई व्यवस्था में व्यक्त किया जाता है, जिसमें अधिशोषण की मात्रा (x) और अधिशोषित पदार्थ के उपलब्धता (C) के बीच संबंध को व्यक्त किया जाता है। यह एक सरल व्याख्यात्मक मापनिकीय मोडल है, लेकिन यह मानक तत्वों के साथ बहुत समझौतापूर्ण हो सकता है।फ्रेंडलिच समतापी प्रक्रम की साधारण रूप से उपयोग की जाने वाली संगतता व्यक्त करने के लिए निम्नलिखित समीकरण का उपयोग किया जाता है:
x/m = k * C^n
यहां, x अधिशोषण की मात्रा है, m अधिशोषित पदार्थ की मात्रा है, C अधिशोषित पदार्थ की उपलब्धता है, k एक समानक है और n एक प्रमाणक है।
2. लेंगम्यूइर अधिशोषण समतापी प्रक्रम:
लेंगम्यूइर समतापी प्रक्रम का प्रतिष्ठान यह दावा करता है कि अधिशोषण प्रतिस्थापन के साथ अधिशोषण की मात्रा सीमित होती है और उसकी मात्रा अधिशोषण के प्रतिस्थापन की मात्रा के साथ विशेष संबंध रखती है। इस प्रक्रम में, अधिशोषण की मात्रा और अधिशोषित पदार्थ की उपलब्धता के बीच संबंध लिंगम्यूइर समीकरण के द्वारा व्यक्त किया जाता है।लेंगम्यूइर समतापी प्रक्रम की साधारण रूप से उपयोग की जाने वाली संगतता व्यक्त करने के लिए निम्नलिखित समीकरण का उपयोग किया जाता है:
x/m = (k * C) / (1 + k * C)
यहां, x अधिशोषण की मात्रा है, m अधिशोषित पदार्थ की मात्रा है, C अधिशोषित पदार्थ की उपलब्धता है और k एक समानक है।
फ्रेंडलिच और लेंगम्यूइर समतापी प्रक्रम दोनों विद्युतर्क रसायनिक प्रक्रिया में अधिशोषण की मात्रा और उपलब्धता के बीच संबंध व्यक्त करने के लिए उपयोग होते हैं। ये प्रक्रम अधिशोषण की गतिविधि को समझने और अधिशोषित पदार्थ के उपलब्धता के साथ संचरण की विशेषताओं को व्यक्त करने में मदद करते हैं।
नोट: प्रश्न क्रमांक 06 से 10 तक के प्रश्न लघुउत्तरीय प्रश्न है। (प्रत्येक प्रश्न 01 अंक का है।)
प्रश्न 06. (A) तथा (G) ऊष्मागतिकी साम्य और स्वतः प्रवर्तित की कसौटी के रूप में समझाईये।
Explain the A and G as a criteria for thermodynamics equilibrium and spontaneity their advantageover entropy change.
Ans. (A) ऊष्मागतिकी साम्य (Thermodynamic Equilibrium):
ऊष्मागतिकी साम्य एक स्थिति है जब एक प्रणाली का सभी भागों में सामान रूप से ऊष्मागतिकी गतिविधि होती है। इस स्थिति में, धातुत्विक रूप से संतुलित होने के कारण कोई नेत्रबलीय ऊष्मागतिकी गतिविधि नहीं होती है। यह गतिविधि अद्यतित रूप से बदलती नहीं है और समय के साथ स्थिर रहती है। ऊष्मागतिकी साम्य का मतलब है कि प्रणाली के रासायनिक प्रक्रियाओं में कोई नेत्रबलीय परिवर्तन नहीं हो रहा है और प्रणाली उसी स्थिति में बनी रहती है।
(G) स्वतः प्रवर्तितता (Spontaneity):
स्वतः प्रवर्तितता एक प्रणाली में स्वतः होने वाली प्रक्रिया को संकेत करती है। इसका मतलब है कि यदि एक प्रक्रिया स्वतः हो रही है, तो उसे प्रणाली में कोई बाहरी या अद्यतित बल की आवश्यकता नहीं होती है। प्रक्रिया अपने आप हो जाती है, बिना किसी बाहरी अभिक्रिया के।
वेगशीलता (Entropy change) के मुकाबले (A) और (G) के लाभ:
- वेगशीलता (Entropy change) संकेत करती है कि किसी प्रक्रिया में ऊष्मागतिकी गतिविधि की संख्या कैसे बदलती है, जबकि (A) और (G) संकेत करते हैं कि यह गतिविधि कितनी अधिकतम हो सकती है या कितनी अधिक संभावित है। इस प्रकार, (A) और (G) अधिक व्यापक और संपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं जो वेगशीलता में छुपी नहीं होती है।
- (A) और (G) ऊष्मागतिकी साम्य और स्वतः प्रवर्तितता को सीधे संबोधित करते हैं, जबकि वेगशीलता उनके परिणाम के रूप में प्रकट होती है। यह उपयोगकर्ता को बेहतर रूप से समझने में मदद करता है कि किस प्रक्रिया में ऊष्मागतिकी गतिविधि हो रही है और कितनी अधिक संभावित है।
- (A) और (G) प्रणाली की स्थिति, ऊष्मागतिकी साम्य और स्वतः प्रवर्तितता के संकेतक होते हैं, जो अधिक प्राथमिक होते हैं वेगशीलता से तथा अन्य तापमान्यता संबंधी परिमाणों से। इसलिए, (A) और (G) का उपयोग वेगशीलता के मानकों की व्याख्या करने के लिए अधिक सुसंगत होता है।
प्रश्न 07. HCL-H2O और एथिल एल्कोहल-जल तंत्र को समझाईये ।
Explain HCL-H2O and Ethanol Water system.
Ans. HCl-H2O तंत्र:
HCl-H2O तंत्र विद्युतयांत्रिकी और रासायनिक प्रयोगों में महत्वपूर्ण है। यह एक द्वितात्त्विक तंत्र है जिसमें हाइड्रोक्लोरिक एसिड (HCl) और पानी (H2O) मिश्रित होते हैं। जब HCl गार्डनियम हाइड्रोक्साइड (NaOH) के साथ पानी में मिश्रित होता है, तो यह तंत्र एक प्रमुख तंत्र के रूप में कार्य करता है। HCl-H2O तंत्र को मानक रूप में प्रदर्शित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले विद्युतयांत्रिक प्रयोगों में यह मापा जाता है।
एथेनॉल-पानी तंत्र:
एथेनॉल-पानी तंत्र भी रासायनिक प्रयोगों में उपयोग होने वाला महत्वपूर्ण तंत्र है। इसमें एथिल एल्कोहॉल (सी2ह5ओएल) और पानी मिश्रित होते हैं। एथेनॉल और पानी का मिश्रण अनुपात विभिन्न हो सकता है, जैसे कि 95% एथेनॉल (संख्यात्मक रूप से) या 70% एथेनॉल (वजन रूप से)। यह मिश्रण आमतौर पर मेडिकल और रसायनिक प्रयोगों में अस्तित्व रखता है और उद्योगों में एथेनॉल के उत्पादन और प्रयोग के लिए महत्वपूर्ण है। एथेनॉल-पानी तंत्र को उपयोग में लाने के लिए, अनुपात और गुणगत प्रभावों को संदर्भित करना महत्वपूर्ण होता है।
प्रश्न 08. ओस्टवाल्ड का तनुता नियम क्या है? समझाइये।
Explain the Ostwald's dilution law?
Ans. ओस्टवाल्ड का तनुता नियम, भौतिक रसायनिक प्रक्रियाओं में जो पदार्थों के अपघटन या विघटन के साथ जुड़ी होती है, को समझने में मदद करने वाला एक महत्वपूर्ण नियम है। इस नियम के अनुसार, जब एक आपूर्ति में एक द्रव्य को धारित करने वाले पानी की मात्रा को कम किया जाता है, तो उस द्रव्य का अपघटन परिमाण बढ़ता है। इसका मतलब है कि जब हम पानी की मात्रा को बढ़ाते हैं, तो द्रव्य का अपघटन प्रतिशत में कम होता है।
प्रश्न 09. आयन वणीत्मक इलेक्ट्रोड एवं उनके उपयोग क्या है? समझाईये।
Explain the ions selective electrodes and their uses.
Ans.
आयन विचारी इलेक्ट्रोड (Ions Selective Electrodes) एक प्रकार के विद्युतयांत्रिक प्रयोगी इलेक्ट्रोड हैं जो केवल निर्दिष्ट आयन के उपस्थिति को मापने में सक्षम होते हैं। ये इलेक्ट्रोड आयन के विभिन्न प्रकारों की चयनितता को मापते हैं, जैसे कि हाइड्रोनियम आयन (H+), फ्लोराइड आयन (F-), क्लोराइड आयन (Cl-), नाइट्रेट आयन (NO3-), इत्यादि।
इन विद्युतयांत्रिक इलेक्ट्रोड्स का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है। कुछ मुख्य उपयोग निम्नलिखित हैं:
- आयन विश्लेषण: आयन वणीत्मक इलेक्ट्रोड्स का प्रमुख उपयोग विभिन्न आयनों के मापन और विश्लेषण में होता है। ये इलेक्ट्रोड्स केमिस्ट्री, जीवविज्ञान, आयुर्विज्ञान, पर्यावरण विज्ञान, और फार्मास्युटिकल उद्योग में आयनों की मात्रा के मापन के लिए प्रयोग किए जाते हैं।
- विद्युतीय प्रदान: कुछ आयन वणीत्मक इलेक्ट्रोड्स अन्य विद्युतयांत्रिक प्रदानों के साथ संयुक्त रूप से उपयोग होते हैं। इन्हें आयनों के उपस्थिति के आधार पर संबंधित अद्यतन या समाप्ति को मापने के लिए उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग लैबोरेटरी परीक्षण, इलेक्ट्रोकेमिस्ट्री, फार्मास्युटिकल औषधि निर्माण, और अन्य उद्योगों में किया जाता है।
- अवशोषण की निगरानी: कुछ आयन वणीत्मक इलेक्ट्रोड्स द्रव्य के अवशोषण प्रक्रिया की निगरानी के लिए उपयोग होते हैं। इन्हें फार्मास्युटिकल औषधियों की उत्पादन प्रक्रिया में और रसायनशास्त्रीय उद्योगों में उपयोग किया जाता है ताकि अवशोषण की गति और प्रक्रिया को निगरानी किया जा सके।
10. उत्प्रेरण का वर्गीकरण कर समझाईये ।
Explain the classification of Catalysis.
Ans. उत्प्रेरण (Catalysis) को विभिन्न तरीकों से वर्गीकृत किया जाता है, जो निम्नलिखित हैं:
1. सचेतक उत्प्रेरण (Homogeneous Catalysis): इसमें, उत्प्रेरक और अपघटक द्रव्य दोनों एक ही अवस्थान में होते हैं, अर्थात् उत्प्रेरक और उत्पाद एक ही चरमबिंदु या फेज में होते हैं। इस प्रकार के उत्प्रेरण के उदाहरण शामिल हैं मांगनीज़ उत्प्रेरित आइरनियम प्रक्रिया और आयोडीन प्रक्रिया।
2. अचेतक उत्प्रेरण (Heterogeneous Catalysis): इसमें, उत्प्रेरक और अपघटक द्रव्य अलग-अलग अवस्थान में होते हैं, अर्थात् उत्प्रेरक और उत्पाद अलग-अलग चरमबिंदु या फेज में होते हैं। इस प्रकार के उत्प्रेरण के उदाहरण शामिल हैं प्लैटिनम, निकेल, और ऑक्साइड्स के उत्प्रेरण प्रक्रियाएं।
3. संधिक उत्प्रेरण (Enzyme Catalysis): यह उत्प्रेरण जीवाणुओं द्वारा किया जाता है, जहां जीवाणु के संश्लेषणिक तत्व (जैसे एंजाइम) उत्प्रेरणकारी कार्य करते हैं। ये उत्प्रेरण अकेले जीवाणु, जैसे एंजाइम, द्वारा विहित होते हैं और जीवाणु में होते हैं। इस प्रकार के उत्प्रेरण में अद्यतित अंश एंजाइमोलॉजी और बायोकेमिस्ट्री के क्षेत्र में प्रयोग किए जाते हैं।
4. स्वरसामरस्य उत्प्रेरण (Autocatalysis): इस प्रकार के उत्प्रेरण में, उत्प्रेरक द्रव्य अपघटित उत्प्रेरक द्रव्य की उत्प्रेरण को बढ़ाता है। इस प्रकार का उत्प्रेरण स्वतःप्रवर्तक कार्यों के लिए महत्वपूर्ण होता है। ये उत्प्रेरण के विभिन्न प्रकार हैं, जो रासायनिक प्रक्रियाओं में विभिन्न प्रयोगों के लिए प्रयोग किए जाते हैं। विभिन्न प्रकार के उत्प्रेरण प्रक्रियाओं का अध्ययन करने से हमें रासायनिक प्रक्रियाओं को तेजी से और प्रभावी ढंग से प्रभावित करने में मदद मिलती है।