इस ब्लॉग पर mp bhoj Chemistry assignment 2th year का उत्तर (answer) और PDF दिया गया है आप chemistry assignment कि pdf download कर सकते है। Mp Bhoj Assignment की answer के लिए इस ब्लॉग को फोलो कर सकते हैं।
physics assignment
bsc 2nd year physics - 1
physics assignment का उत्तर (answer) और PDF दिया गया है आप physics assignment कि pdf download कर सकते है।
Q. 1 What are aplanatic points ? write it's uses.
अविपथी बिंदु किन्हें कहते हैं। इनके उपयोग लिखिए।
Ans. अविपथी बिंदु (Aplanatic Points) वह बिंदु होते हैं जहाँ द्विस्रोत लेंस या प्रिज्म द्वारा लगातार स्वीकार्य और अन्वयार्थक छवि बनाने की क्षमता होती है। इन बिंदुओं पर प्रकाश के पथों का तोड़ विभाजन व्याप्त नहीं होता है और चित्रण में वर्तमान रूप से कोई त्रुटि नहीं होती है। अविपथी बिंदु का उपयोग विभिन्न एप्लीकेशन्स में किया जाता है। यहां कुछ मुख्य उपयोग दिए गए हैं:
1. ऑप्टिकल इंस्ट्रुमेंट्स: अविपथी बिंदुओं का उपयोग विभिन्न ऑप्टिकल इंस्ट्रुमेंट्स, जैसे माइक्रोस्कोप, टेलीस्कोप, स्पेक्ट्रोमीटर, इत्यादि में किया जाता है। इन उपकरणों में अविपथी बिंदुओं का प्रयोग करके अविपथीता (Aplanaticity) बढ़ाई जाती है और बेहतर छवि निर्माण की सुविधा प्राप्त होती है।
2. ऑप्टिकल लेंस: अविपथी बिंदुओं का उपयोग ऑप्टिकल लेंसों के निर्माण में किया जाता है। इन लेंसों को अविपथी बनाने के लिए उन्हें आपस में संयोजित किया जाता है ताकि वे एक मेंटल छवि बनाने में सक्षम हों। यह इंजीनियरिंग, आयुर्विज्ञान, ज्योतिष, इत्यादि जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण होता है।
3. फोटोग्राफी: अविपथी बिंदुओं का उपयोग फोटोग्राफी में भी किया जाता है। वे फोटोग्राफिक लेंसों की निर्माण में इस्तेमाल होते हैं ताकि संकर और अनुपातित प्रकाश को संशोधित करने के लिए संकर नियमों का पालन किया जा सके। इससे अच्छी तस्वीर क्वालिटी प्राप्त होती है और कोई छवि त्रुटि नहीं होती है।
4. विज्ञान और शोध: अविपथी बिंदुओं का उपयोग विज्ञान और शोध के कई क्षेत्रों में किया जाता है। इन बिंदुओं के माध्यम से आदर्श प्रकाश के पथों का अध्ययन किया जाता है, विभिन्न तत्वों की तत्वावधानी और तापीय गुणधर्मों का मापन किया जाता है।
अविपथी बिंदुओं का उपयोग इन विभिन्न क्षेत्रों में छवि निर्माण की गुणवत्ता को सुधारने और अविपथीत प्रकाश के पथों की अध्ययन करने के लिए किया जाता है। इन्हें उपयोग करके उच्चतम संभावित चित्रण का निर्माण किया जा सकता है और विभिन्न वैज्ञानिक और तकनीकी उपयोगों में महत्वपूर्ण योगदान दिया जा सकता है।
Q.2 what do understand by interference of light? Deseribe thee Young's double six experiments and explain it
प्रकाश के व्यक्तिकरण से आप क्या समझते हो? यंग के द्वि-स्लिट प्रयोग का वर्णन करो तथा इसकी व्याख्या कीजिए।
Ans. प्रकाश के व्यक्तिकरण (Interference of Light) एक प्रमुख वैज्ञानिक प्रयोग है जो प्रकाश के दो या अधिक आपस में मिलने पर होने वाले प्रभावों को अध्ययन करता है। यह प्रकाश की लहरों के समय और स्थान पर आधारित होता है और इसे इंटरफेरेंस कहा जाता है। जब दो या अधिक प्रकाश लहरें एक ही समय पर मिलती हैं, तो वे आपस में इंटरफेर करती हैं और एक नया प्रभाव पैदा करती हैं। यह प्रभाव प्रकाश के अंशों के प्रकाश विलय की वजह से होता है।
यंग के द्वि-स्लिट प्रयोग (Young's Double-Slit Experiment) एक महत्वपूर्ण प्रयोग है जिसने प्रकाश के इंटरफेरेंस का प्रमाणित किया है। यह प्रयोग ब्रिटिश वैज्ञानिक थॉमस यंग ने 1801 में किया था।
प्रयोग के लिए, एक पट्टी (छोटा प्रकाशस्रोत) का एक टुकड़ा लें और उस पर दो छोटे-से छेद बनाएं। ये छेद हमेशा के लिए एक ही लंबवत हों और एक दूसरे से समान दूरी पर स्थित हों। फिर एक प्रकाशस्रोत (बड़ा प्रकाशस्रोत) के पास रखें जिससे एक लहरीय प्रकाश उत्पन्न होती है। जब यह प्रकाश द्वि-स्लिट पट्टी को पार करती है, तो यह दो छेदों से गुजरती है और उनमें से हर एक से एक लहर उत्पन्न होती है। इन लहरों का इंटरफेरेंस होता है जब वे एक ही समय पर एक ही स्थान पर पहुंचती हैं।
इंटरफेरेंस का परिणाम यह होता है कि प्रकाश की इंटरफेरेंस पैटर्न उत्पन्न होता है जिसमें प्रकाश की मछलीका बंद धाराओं के क्षेत्र होते हैं। इन क्षेत्रों में प्रकाश की अधिकता या कमी होती है, जो प्रकाशस्रोत के परिणामस्वरूप आंशिक विलय के कारण होती है। इस प्रयोग से हम इंटरफेरेंस के स्वरूप, लहरों की विस्तार के कारण, प्रकाश के बांटने के क्षेत्रों के माप, और उदाहरण के लिए वैवेदिक प्रकाश के विश्लेषण को समझ सकते हैं।
यंग के द्वि-स्लिट प्रयोग ने प्रकाश के व्यक्तिकरण के सिद्धांत को साबित किया है और इसने बहुत सारे महत्वपूर्ण वैज्ञानिक और तकनीकी अनुप्रयोगों के विकास में मदद की है।
Q.3 What are Fresncl's half Period Zones?
फनेल के अर्द्धकाल जोन क्या है?
Ans. फ्रेनेल के अर्द्ध-काल जोन्स (Fresnel's Half-Period Zones) एक प्रकाशिक अवधि को उद्दीपित करने वाले क्षेत्र हैं जो प्रकाश के व्यक्तिकरण और अन्तरविलय (diffraction) के संयोजन से प्राप्त होते हैं। इन क्षेत्रों का अध्ययन फ्रेनेल ने किया और इसकी प्राथमिकता उन्होंने 1815 में बताई थी।
फ्रेनेल के अर्द्ध-काल जोन्स को समझने के लिए, हम जानते हैं कि जब एक संकर आयतन या अविपथी सतह पर प्रकाश के प्रकाशन के साथ मेंटल प्रकाशित होता है, तो प्रकाश में स्थिति के वजह से प्रकाश की लहरें प्रारंभिक रूप से अनियमित होती हैं। इसके फलस्वरूप, जहां प्रकाश लाइनसी मनरेस्टन्स में नियमित होती हैं, वहीं अन्तरविलय क्षेत्र उत्पन्न होता है जहां प्रकाश की लहरें अनियमित होती हैं और आपस में मिलती हैं।
फ्रेनेल ने प्रकाश के अर्द्ध-काल जोन्स को पहचानने के लिए दो प्रमुख क्षेत्रों को निर्धारित किया है:
1. फ्रेनेल के प्रथम अर्द्ध-काल जोन: यह क्षेत्र आयतन की सतह के पास होता है और प्रकाश के समरूपी प्रकाशन को प्रभावित करता है। इस क्षेत्र में प्रकाश दो मानक अवधियों में (पूर्ण अवधि और अर्ध अवधि) विभक्त हो जाता है।
2. फ्रेनेल के द्वितीय अर्द्ध-काल जोन: यह क्षेत्र आयतन से थोड़ा दूर होता है और प्रकाश के असमरूपी प्रकाशन को प्रभावित करता है। इस क्षेत्र में प्रकाश दो मानक अवधियों में (पूर्ण अवधि और अर्ध अवधि) विभक्त हो जाता है।
फ्रेनेल के अर्ध-काल जोन्स का अध्ययन अवियोजकीय अवधियों (coherent lengths) और तारंगदैर्य (phase difference) के लिए महत्वपूर्ण है। इन क्षेत्रों का समझना और उनके प्रभाव की गणना करना, प्रकाशिक उपकरणों जैसे लेंसेस, रेंजफाइंडर, होलोग्राम, इंटरफेरोमीटर और रडार सिस्टम के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
Q.4 Explain the Construction and working of a Polaroid, write its uses.
पोलेरॉइड की संरचना तथा कार्यविधि समझाए। इसके उपयोग लिखिए।
Ans. पोलाराइड (Polaroid) एक ध्रुवीय प्रकाशन उपकरण है जो प्रकाश को एकीकृत और निर्देशीत करने के लिए उपयोग होता है। इसकी संरचना ध्रुवीय अणुओं की एक प्रतिरोधक झिल्ली से मिलती है, जिससे केवल एक निश्चित दिशा के प्रकाश को छोड़ने दिया जाता है।
पोलाराइड की संरचना:
पोलाराइड का मुख्य तत्व एक विशेष प्रकाशवर्ती पॉलिमर झिल्ली होती है, जिसे पोलाराइड झिल्ली या पोलाराइजिंग फिल्म के रूप में जाना जाता है। यह झिल्ली पॉलाराइड मॉलेक्यूल की संरचना के कारण ध्रुवीय प्रकाश को अवशोषित करती है और केवल एकीकृत दिशा में प्रकाश को अनुमति देती है। इस प्रकार, यह झिल्ली अनिश्चित और विकिरणित प्रकाश को आवेगित करती है।
पोलाराइड कार्यविधि:
पोलाराइड में प्रकाश की संरचना विकर्ण के द्वारा होती है। विकर्ण के परिणामस्वरूप, विभिन्न दिशाओं में क्षेत्र गठन होते हैं जहां प्रकाश का आवेग निर्दिष्ट होता है और उसे पार करने की अनुमति दी जाती है। इस प्रक्रिया से प्राप्त की गई प्रकाश ध्रुवीय और एकीकृत होता है।
पोलाराइड के उपयोग:
1. पोलाराइड का उपयोग प्रकाशिक विज्ञान में अनुसंधान और अध्ययन के लिए किया जाता है।
2. यह कैमरा लेंसों में उपयोग किया जाता है ताकि सतह पर प्रकाश के छित्र की गुणवत्ता में सुधार हो सके।
3. इसका उपयोग शौर्य विज्ञान में भी किया जाता है, जैसे कि एक्स-रे दिखावट की सुरक्षा के लिए।
4. पोलाराइड चश्मे रोशनी को नियंत्रित करके बेहतर दृष्टि और कम ग्लेयर दर्पण (glare reflection) प्रदान करने के लिए उपयोग किए जाते हैं।
5. यह विज्ञान, इंजीनियरिंग, मेडिकल और आभूषण निर्माण में भी उपयोग होता है।
इस प्रकार, पोलाराइड प्रकाश की संरचना को निर्देशित करने में मदद करता है और इसका उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है।
Q.5 Explain the meaning of the Einstein's coefficients A and B and hence establish a relationship between them by the statistical mechanics.
आइंसटीन के गुणांको A व B का अर्थ समझाते ह्रुए सांख्यिक यात्रिकी द्वारा इनमें सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
Ans. आइंस्टीन के गुणांक A और B आयों का अर्थ व्याख्याता करते हैं। ये गुणांक प्रभावी सांख्यिकी द्वारा अवश्यक होते हैं जो आइंस्टीन के नियमों को स्वीकृत करती हैं। इन गुणांकों के माध्यम से, हम प्रभावी तरंगों की उत्पत्ति, इनमें ऊर्जा और प्रकाश की अवशोषण की प्रक्रिया का मूल्यांकन कर सकते हैं।
आइंस्टीन के गुणांक A:
गुणांक A आइंस्टीन के स्थायीत्व उत्पन्न करने की संभावना को दर्शाता है। यह गुणांक प्रभावी तरंगों के प्रकाशन (emission) की दर्पणाधिकार की वेगवृद्धि को निर्दिष्ट करता है। A की मात्रा "प्रतिसेकंड प्रति इकाई विकिरण ऊर्जा" को दर्शाती है। यह गुणांक विकिरणीय अंतरालों में प्रकाश के बहाव की स्थिरता को विश्लेषण करता है।
आइंस्टीन के गुणांक B:
गुणांक B आइंस्टीन के प्रकाश की अवशोषण (absorption) की दर्पणाधिकार की वेगवृद्धि को निर्दिष्ट करता है। यह गुणांक प्रभावी तरंगों के प्रकाश के संश्लेषण (interaction) की वेगवृद्धि को निर्दिष्ट करता है। B की मात्रा "प्रतिसेकंड प्रति इकाई विकिरण ऊर्जा और घटनाओं की प्रतिष्ठान" को दर्शाती है। यह गुणांक प्रकाश की अवशोषणीय अंतरालों में उत्पन्न होने वाले घटनाओं की गति को विश्लेषण करता है।
गुणांक A और B के बीच संबंध:
आइंस्टीन के एक सांख्यिकीय संबंध के अनुसार, गुणांक A और B के बीच निम्नलिखित सम्बंध होता है:
B = (2hv³ / c³) * A
यहां, B गुणांक को दर्शाता है और A गुणांक को दर्शाता है। v प्रकाश के ऊर्जा स्तर को दर्शाता है, h प्लांक का सामंजस्यिक गुणांक है, c रोशनी की गति है। यह संबंध प्रकाश के अवशोषण और प्रकाशन की प्रक्रिया के बीच संबंध को स्पष्ट करता है।
Q.6 what is meant by dispersion.?
विक्षेषण से क्या तात्पर्य है।
Ans. विक्षेषण (Dispersion) का तात्पर्य होता है प्रकाश के रंगों के अलग-अलग प्रकाशीय माध्यमों में विभक्त होने से है। यह एक विशेष गुणांक है जो प्रकाश के अलग-अलग रंगों के प्रकाशीय ध्रुवीयता को व्यक्त करता है।
जब प्रकाश किसी विभिन्न आपदाधारी या प्रकाशीय माध्यम से अवतीर्ण होता है, तो उसका रंग विभिन्न अवधारित पथों में विभाजित होता है। इसका कारण है कि प्रकाश के विभिन्न रंगों का अलग-अलग अंतराल पाया जाता है। यह रंगों के अंतराल में परिवर्तन प्रकाश की विक्षेपण (refraction) या विकिरण (scattering) के कारण होता है।
विक्षेषण का एक उदाहरण आपके द्वारा देखे जाने वाले प्रिज्म के माध्यम से प्रकाश का गुणांक है। प्रिज्म द्वारा प्रकाश को विभाजित करने पर, प्रकाश के विभिन्न रंगों को देखा जा सकता है, जिसमें विभिन्न अंतरालों की प्रतिष्ठा होती है। इसलिए, विक्षेषण प्रकाशीय ध्रुवीयता की एक प्रमुख विशेषता है जो हमें प्रकाश के विभिन्न रंगों को देखने की सुविधा प्रदान करती है।
विक्षेषण का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में होता है, जैसे विज्ञान, औद्योगिक अनुप्रयोग, आपूर्ति श्रृंखला और निर्माण क्षेत्र में। इसका उपयोग रंगीन प्रदर्शनी, प्रकाशीय इलेक्ट्रॉनिक्स, प्रकाशीय संचार, ऑप्टिकल इंस्ट्रुमेंट्स, और रंगीन प्रिंटिंग में भी किया जाता है।
Q.7 What are Haidinger's fringes? Explain.
हैडिन्नर क्रिन्जें क्या है समझाइए।
Ans. हैडिंगर क्रिन्ज (Haidinger's fringes) एक ऑप्टिकल इंटरफेरेंस प्रभाव है जो जब दो निरपेक्ष प्रकाशीय माध्यमों के संपर्कबिंदु पर जुड़े होते हैं, तो उत्पन्न होता है। इस प्रभाव का खास विशेषता है कि यह सीमांकित रंगीन छवि (polarized colored image) के रूप में दिखाई देता है।
हैडिंगर क्रिन्ज प्रकाश के तत्वों के बीच की भिन्नताओं के कारण उत्पन्न होता है, जैसे कि प्रकाशीय माध्यम की वेग का अंतर, द्विघातित प्रकाश की प्रमुख ध्रुवीयता और वृत्ताकार उच्चता के साथ एकदिवसीय प्रकाशीय घटक की मौजूदगी।
हैडिंगर क्रिन्ज प्रभाव विशेष रूप से स्काय ब्लू (sky blue) रंग के आसपास देखा जा सकता है, जहां प्रकाश ध्रुवीय तत्वों के बीच विभाजित होता है। यह एक प्रकाशीय ध्रुवीयता का प्रमुख उदाहरण है और प्रकाशीय इंटरफेरेंस के अद्वितीय अनुभव को दर्शाता है।
हैडिंगर क्रिन्ज का उपयोग अवशोषण स्पेक्ट्रोस्कोप, ऑप्टिकल इंस्ट्रुमेंट्स, पैटर्न रिकग्नीशन, और विज्ञानिक अनुसंधान में किया जाता है। इसका उपयोग ऑप्टिकल प्रदर्शनी के अध्ययन, दोपहरी प्रकाशन और प्रकाशीय संचार में भी किया जाता है।
Q.8 what is the Rayleigh's criterion of Just resolution ?
सीमान्त विभेदन के लिए रैले की कसोटी क्या है।
Ans. रैले का सिद्धांत (Rayleigh's criterion) विभेदन क्षमता की सीमा को परिभाषित करता है जो दो पट्टियों के बीच में समान्य प्रकाश के विभेदन को "सही विभेदन" (Just resolution) के रूप में मान्य करता है। यह सिद्धांत ज्योतिर्मिति (Optics) में उपयोगी होता है, खासकर जब हम दूरस्थ वस्तुओं को अलग-अलग दिखने के लिए प्रकाश का उपयोग करते हैं।
सिद्धांत के अनुसार, दो पट्टियों को सही विभेदन की गुणवत्ता के लिए, यदि दो समान और समय स्थान में प्रकाशीय स्रोत हों तो पट्टियों के अंतराल या दूरी का अनुपात कम से कम 1.22 या उससे अधिक होना चाहिए। यह अनुपात "रैले की कसोटी" या "रैले का संकेत" (Rayleigh's limit) के रूप में जाना जाता है।
रैले की कसोटी बहुतायती उपयोगी है, खासकर ऑप्टिकल माइक्रोस्कोप और ऑप्टिकल टेलीस्कोप की उच्चतम विभेदन क्षमता का मापन करने में। इसका उपयोग वैज्ञानिक अनुसंधान, विज्ञान और औद्योगिक अनुप्रयोगों में संकेतना विभेदन तकनीक के विकास में भी किया जाता है।
Q.9 Differentiate between the uniaxial and biaxial Crystals with one example of cach.
एक अक्षीय क्रिस्टल के साधारण तथा असाधारण अपवर्तसनांक से क्या तात्पर्य है। इनके व्यंजक लिखिए।
Ans. अक्षीय (Uniaxial) क्रिस्टल और अपक्षीय (Biaxial) क्रिस्टल दो विभिन्न प्रकार के ऑप्टिकल क्रिस्टल हैं। इनके बीच में इनकी प्रमुख भिन्नता तत्वों का अस्तित्व होता है, जो उनके ऑप्टिकल व्यवहार में अंतर का कारण बनता है।
अक्षीय (Uniaxial) क्रिस्टल:
- एक अक्षीय क्रिस्टल में, ऑप्टिकल ध्रुवीयता केवल एक ध्रुवीयता दिखाती है।
- इसकी प्रमुख व्यंजक होती है "अपवर्तसनांक ओ" (Optical Indicatrix or O-ray) जो स्वाभाविक रूप से आकारशाली होती है।
- उदाहरण: क्वार्ट्ज (Quartz) क्रिस्टल।
अपक्षीय (Biaxial) क्रिस्टल:
- एक अपक्षीय क्रिस्टल में, ऑप्टिकल ध्रुवीयता दो ध्रुवीयताओं को दिखाती है।
- इसकी प्रमुख व्यंजक होती हैं "अपवर्तसनांक ओ" (Optical Indicatrix or O-ray) और "अपवर्तसनांक ई" (Optical Indicatrix or E-ray) जो असाधारण रूप से आकारशाली होती हैं।
- उदाहरण: टोपाज (Topaz) क्रिस्टल।
ये क्रिस्टल विभिन्न ऑप्टिकल अनुप्रयोगों, जैसे रंगीन प्रदर्शनी, प्रकाशीय संचार, ऑप्टिकल इंस्ट्रुमेंट्स, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और ज्योलोजी में उपयोग होते हैं।
Q.10 What is meant by Photo sensor's.
फोटो सेंसर से क्या अभिप्राय है?
Ans. फोटो सेंसर (Photo sensor) एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जो प्रकाश से ऊर्जा को देखकर या धारण करके उसे इलेक्ट्रिकल संकेत में परिवर्तित करता है। यह ऊर्जा को बिजली के संकेत में परिवर्तित करने के लिए प्रयुक्त होता है। फोटो सेंसर्स विभिन्न प्रकार की प्रकाश परिवर्तन तकनीकों का उपयोग करके काम कर सकते हैं, जैसे फोटोवोल्टेक सेल, फोटोडायोड, फोटो इलेक्ट्रिक यूजिंग इत्यादि।
फोटो सेंसर्स के उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में होते हैं, जैसे:
1. कैमरा और वीडियो आपरेटस: फोटो सेंसर्स कैमरा और वीडियो आपरेटस में छवि और वीडियो को कैप्चर करने के लिए उपयोग होते हैं। ये सेंसर्स छवि को बिजली के संकेत में परिवर्तित करते हैं और उसे आपके डिवाइस में डिजिटल रूप में स्टोर करते हैं।
2. ऑटोमोबाइल इलेक्ट्रॉनिक्स: फोटो सेंसर्स ऑटोमोबाइल इलेक्ट्रॉनिक्स में उपयोग होते हैं, जैसे अटोमेटिक लाइटिंग सिस्टम, पार्किंग सेंसर, रेन सेंसर, अटोमेटिक ब्रेकिंग सिस्टम, और क्रूज कंट्रोल सिस्टम इत्यादि में।
3. स्विचिंग और एलार्म सिस्टम: फोटो सेंसर्स स्विचिंग और एलार्म सिस्टम में उपयोग होते हैं, जैसे सड़क के बाहरी लाइट्स, सिक्योरिटी लाइट्स, मोशन डिटेक्टर्स इत्यादि में।
4. विज्ञान और अनुसंधान: फोटो सेंसर्स विज्ञान और अनुसंधान क्षेत्रों में उपयोग होते हैं, जैसे सूर्य ऊर्जा के अध्ययन, नियंत्रित प्रकाश प्रणालियों, और विभिन्न प्रकाशीय अनुप्रयोगों में।
ये हैं कुछ फोटो सेंसर्स के आम उपयोग, लेकिन उनका अनुप्रयोग विभिन्न क्षेत्रों में बढ़ता जा रहा है जहां प्रकाश की ऊर्जा को बिजली में परिवर्तित करना आवश्यक होता है।
Mp bhoj Chemistry paper 1 answer pdf -
Mp bhoj Chemistry paper 2 answer pdf -
FAQs page
Q.1 फिजिक्स के father कौन है?
Ans. फिजिक्स के पिता को आमतौर पर सर इज़क न्यूटन माना जाता है। वे एक प्रमुख भौतिक विज्ञानी थे जिन्होंने गति, बल, और गति-बल के कानूनों को विकसित किया। उनके एल्बर्ट आइंस्टीन, मैक्स प्लांक, और ऐस्टीन बोर्न के साथ महत्वपूर्ण योगदान रहे। न्यूटन ने भौतिकी में आविष्कारों का समृद्ध आधार रखा, जिससे उन्हें "फिजिक्स के पिता" कहा जाता है।
Q.2 फिजिक्स का जन्म कब हुआ?
Ans. फिजिक्स का जन्म आधुनिक रूप से 17वीं और 18वीं सदी में हुआ। वैज्ञानिक जॉन डाल्टन ने 1808 में अणु सिद्धांत को विकसित किया, जिसने रसायन विज्ञान और भौतिकी को बदल दिया। न्यूटन के कानूनों का विकास 17वीं सदी में हुआ, जिससे फिजिक्स की आधुनिक यात्रा शुरू हुई।
Q.3 बेसिक फिजिक्स क्या है?
Ans. बेसिक फिजिक्स, भौतिक विज्ञान का मूल और महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह भौतिकी के मूल सिद्धांतों, नियमों, और प्रयोगों का अध्ययन करती है। इसमें गति, द्रव्यमान, ऊष्मा, बल, और उच्चता जैसे मूल तत्वों के संबंधों की समझ शामिल होती है। बेसिक फिजिक्स उच्चतर विज्ञान की नींव होती है और अन्य शाखाओं के लिए महत्वपूर्ण है।
Q.4 फिजिक्स का अच्छा सवाल क्या है?
Ans. एक अच्छा फिजिक्स सवाल है, "ब्रह्मांड में कितने प्रकार के बिंदु हो सकते हैं?" यह सवाल विचारशीलता, गणितीय तार्किकता, और संगणकीय विज्ञान को जड़ता है, और भौतिकी के मूल सिद्धांतों को उपयोग करके उसे समझने का मार्ग प्रदान कर सकता है।