कोई टाइटल नहीं

नोटः प्रश्न क्रमांक 01 से 5 तक के प्रश्न लघुउत्तरीय प्रश्न है। प्रत्येक प्रश्न 02 अंक का है।

Q.1 प्रगामी एवं अप्रगामी तरंगो को समझाइए। Describe the Travelling and standing waves.

1. प्रगामी तरंगें और अप्रगामी तरंगें:

प्रगामी तरंगें: वे तरंगें जो ऊर्जा को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाती हैं, उन्हें प्रगामी तरंगें कहते हैं। इन तरंगों में, ऊर्जा का प्रवाह होता है, लेकिन माध्यम के कण अपनी स्थिति नहीं बदलते हैं।

उदाहरण: पानी में फेंका गया पत्थर, ध्वनि तरंगें।

अप्रगामी तरंगें: वे तरंगें जो ऊर्जा को एक स्थान से दूसरे स्थान तक नहीं ले जाती हैं, उन्हें अप्रगामी तरंगें कहते हैं। इन तरंगों में, ऊर्जा का स्थानिक वितरण समय के साथ बदलता रहता है, लेकिन ऊर्जा का कोई शुद्ध प्रवाह नहीं होता है।

उदाहरण: रस्सी का एक छोर हिलाने पर उसमें उत्पन्न तरंगें।


Q.2 प्रकाश की विद्युत चुम्बकीय प्रकृति को समझाइए।

Describe the Electromagnetic nature of light.

2. प्रकाश की विद्युत चुम्बकीय प्रकृति:

19वीं शताब्दी में, जेम्स मैक्सवेल ने सिद्धांत दिया कि प्रकाश एक विद्युत चुम्बकीय तरंग है। इस सिद्धांत के अनुसार, प्रकाश में विद्युत और चुंबकीय क्षेत्रों के परस्पर संबद्ध दोलन होते हैं। ये दोलन एक दूसरे के लंबवत होते हैं और प्रकाश की गति से निर्वात में यात्रा करते हैं।

प्रकाश की विद्युत चुम्बकीय प्रकृति को निम्नलिखित प्रमाणों द्वारा समर्थित किया जाता है:

  • प्रकाश विद्युत और चुंबकीय क्षेत्रों को प्रभावित करता है।
  • प्रकाश का वेग निर्वात में सभी दिशाओं में समान होता है।
  • प्रकाश ध्रुवीकृत किया जा सकता है, जो केवल विद्युत चुम्बकीय तरंगों का गुण है।
  • प्रकाश में विभिन्न तरंग दैर्ध्य होते हैं, जो विभिन्न रंगों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

Q.3 स्टोक्स का नियम समझाइए। Describe the Stoke's Law.

3. स्टोक्स का नियम:

स्टोक्स का नियम, द्रव गतिशीलता में एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है, जो बताता है कि एक बंद वक्र पर तरल पदार्थ के प्रवाह का रेखीय अभिन्न, उस वक्र द्वारा घिरे क्षेत्र पर वेग के घुमाव का त्रिमितीय अभिन्न के बराबर होता है।

गणितीय रूप से, इसे इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है:

∮(V ⋅ dr) = ∫∫(curl(V) ⋅ dS)

जहाँ:

  • V - वेग वेक्टर
  • dr - वक्र पर infinitesimal तत्व
  • dS - सतह पर infinitesimal तत्व
  • curl(V) - वेग का घुमाव

Q.4 फ्राउन होकर विवर्तन को समझाइए । Describe the Fraunhofer diffraction.

4. फ्राउनहोफर विवर्तन:

फ्राउनहोफर विवर्तन, एक ऑप्टिकल घटना है जो तब होती है जब प्रकाश एक संकीर्ण छिद्र या बाधा से गुजरता है। जब प्रकाश स्रोत, छिद्र और स्क्रीन सभी एक दूसरे से बहुत दूर होते हैं, तो विवर्तन पैटर्न फ्राउनहोफर क्षेत्र में बनता है।

फ्राउनहोफर विवर्तन की विशेषताएं:

  • विवर्तन पैटर्न स्क्रीन पर स्रोत के आकार और छिद्र के आकार का एक जटिल रूप होता है।
  • विवर्तन पैटर्न में उज्ज्वल और अंधेरे बैंड होते हैं।
  • विवर्तन पैटर्न की चौड़ाई छिद्र के आकार के व्युत्क्रमानुपाती होती है।

Q.5 प्रकाशीयू घूर्णन एवं विशिष्ट पूर्णन को समझाइये। Describe the optical rotation and specific rotation.

5. प्रकाशीय घूर्णन और विशिष्ट घूर्णन:

जब प्रकाश किसी ऑप्टिकली सक्रिय पदार्थ से होकर गुजरता है, तो यह अपनी ध्रुवीकरण तल को घुमा सकता है। इस घटना को प्रकाशीय घूर्णन कहा जाता है।

विशिष्ट घूर्णन, किसी दिए गए तापमान और तरंग दैर्ध्य पर प्रति सेंटीमीटर प्रति ग्राम घोल में घुमाव की मात्रा का माप है।

गणितीय रूप से, इसे इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है:

[α] = (°/dm g/cm³)

जहाँ:

  • [α] - विशिष्ट घूर्णन
  • d - घोल की लंबाई (डेम)
  • m - घोल

नोटः प्रश्न क्रमांक 06 से 10 तक के प्रश्न दीर्घउत्तरीय प्रश्न है। प्रत्येक प्रश्न 04 अंक का है।

Q.6 लिसाजू आकृतियाँ (1.1 तथा 1:2) एवं उनके उपयोग बताइए। Describe the Lissajous Figures (1:1 and 1:2), and its uses.

लिसाजू आकृतियाँ:

लिसाजू आकृतियाँ, दो सरल हार्मोनिक दोलनों के योग द्वारा उत्पन्न दो आयामी वक्र होती हैं। इन आकृतियों का अध्ययन 19वीं शताब्दी में फ्रांसीसी भौतिक विज्ञानी जूल्स एंटोइन लिसाजू ने किया था।

1:1 लिसाजू आकृतियाँ:

जब दो दोलनों की आवृत्तियाँ समान होती हैं और उनके कला में 90° का अंतर होता है, तो परिणामी लिसाजू आकृति एक वृत्त होती है।

उपयोग:

  • कंपन की आवृत्ति और कला में अंतर का निर्धारण करने के लिए।
  • ऑसिलेटोस्कोप में समय-सीमा का अध्ययन करने के लिए।
  • लेजर डायोड में मोड लॉकिंग का अध्ययन करने के लिए।

1:2 लिसाजू आकृतियाँ:

जब दो दोलनों की आवृत्तियाँ 1:2 के अनुपात में होती हैं, तो परिणामी लिसाजू आकृतियाँ अंडाकार, रेखाएँ या हाइपरबोला हो सकती हैं।

उपयोग:

  • कंपन की आवृत्ति अनुपात का निर्धारण करने के लिए।
  • विद्युत सर्किट में चरण अंतर का अध्ययन करने के लिए।
  • यांत्रिक कंपन प्रणालियों में अनुनाद का अध्ययन करने के लिए।

Q.7 फोरियर प्रमेय को समझाइए । Describe the Fourier Theorem.

7. फोरियर प्रमेय:

फोरियर प्रमेय, गणित का एक महत्वपूर्ण प्रमेय है जो बताता है कि किसी भी आवधिक फलन को साइन और कोसाइन फलनों के योग के रूप में दर्शाया जा सकता है।

गणितीय रूप से, इसे इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है:

f(t) = a0/2 + ∑[an cos(2πnf/T) + bn sin(2πnf/T)]

जहाँ:

  • f(t) - आवधिक फलन
  • a0 - शून्यवीं हार्मोनिक का आयाम
  • an - nवीं हार्मोनिक का आयाम
  • bn - nवीं हार्मोनिक का कला
  • f - आवृत्ति
  • T - आवर्त काल

उपयोग:

  • सिग्नल विश्लेषण और प्रसंस्करण में।
  • छवि प्रसंस्करण में।
  • दूरसंचार में।
  • भौतिकी और इंजीनियरिंग के अन्य क्षेत्रों में।


Q8 समानांतर और फनाकार फिल्मो मे व्यतीकरण समझाइए।

Explain the Interference in Parallel and wedge-shaped films

8. समानांतर और पतली फिल्मों में व्यक्तिकरण:

समानांतर फिल्मों में व्यक्तिकरण:

जब प्रकाश एक पारदर्शी फिल्म से होकर गुजरता है, तो यह परावर्तित और अपवर्तित होता है। यदि फिल्म की मोटाई प्रकाश की तरंग दैर्ध्य के बराबर के क्रम की है, तो परावर्तित और अपवर्तित किरणों के बीच व्यक्तिकरण हो सकता है।

इसके परिणामस्वरूप, फिल्म की सतह पर उज्ज्वल और अंधेरे बैंड दिखाई देते हैं। इन बैंडों की चौड़ाई और स्थान फिल्म की मोटाई, प्रकाश की तरंग दैर्ध्य और अपवर्तनांक पर निर्भर करता है।

पतली फिल्मों में व्यक्तिकरण:

पतली फिल्मों में व्यक्तिकरण, समानांतर फिल्मों में व्यक्तिकरण के समान होता है, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण अंतरों के साथ।

सबसे पहले, पतली फिल्मों में, व्यक्तिकरण बैंड आमतौर पर अधिक संकीर्ण होते हैं। दूसरा, पतली फिल्मों में, व्यक्तिकरण बैंड का रंग प्रकाश की तरंग दैर्ध्य पर निर्भर करता है।

उपयोग:

  • लेन्स और दर्पणों के लिए कोटिंग्स में।
  • ऑप्टिकल फिल्टर में।
  • सौर कोशिकाओं मे

Q.9 दूरदर्शी एवं ग्रेटिंग की विभेदन क्षमता का समझाइए Describe the Resolving Power of Grading and Telescope.

9. दूरदर्शी और ग्रेटिंग की विभेदन क्षमता:

दूरदर्शी की विभेदन क्षमता:

दूरदर्शी की विभेदन क्षमता, दो निकटवर्ती बिंदुओं को अलग-अलग रूप से देखने की क्षमता है। यह दूरदर्शी के वस्तुनिष्ठ की व्यास पर निर्भर करता है।

गणितीय रूप से, इसे इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है:

θ = 2.44 λ / D

जहाँ:

  • θ - विभेदन कोण (सेकंड में)
  • λ - प्रकाश की तरंग दैर्ध्य (मीटर में)
  • D - वस्तुनिष्ठ का व्यास (मीटर में)

उदाहरण:

100 मिमी व्यास वाले दूरदर्शी की विभेदन क्षमता 0.244 सेकंड है। इसका मतलब है कि दूरदर्शी 0.244 सेकंड से कम कोणीय अंतर वाले दो बिंदुओं को अलग-अलग रूप से नहीं देख सकता है।

ग्रेटिंग की विभेदन क्षमता:

ग्रेटिंग की विभेदन क्षमता, दो निकटवर्ती वर्णक्रमीय रेखाओं को अलग-अलग रूप से अलग करने की क्षमता है। यह ग्रेटिंग की रेखाओं की संख्या (N) और रेखाओं के बीच की दूरी (d) पर निर्भर करता है।

गणितीय रूप से, इसे इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है:

λ = d sin θ / N

जहाँ:

  • λ - वर्णक्रमीय रेखा की तरंग दैर्ध्य (मीटर में)
  • θ - विवर्तन कोण (डिग्री में)
  • N - ग्रेटिंग की रेखाओं की संख्या
  • d - रेखाओं के बीच की दूरी (मीटर में)

उदाहरण:

1000 लाइनों प्रति मिलीमीटर वाली ग्रेटिंग की विभेदन क्षमता 0.0004 μm है। इसका मतलब है कि ग्रेटिंग 0.0004 μm से कम तरंग दैर्ध्य वाले दो वर्णक्रमीय रेखाओं को अलग-अलग रूप से अलग नहीं कर सकती है।


Q.10 निकोल प्रिज्म का निर्माण एवं क्रिया विधि समझाए। Give the construction and working of Nicol Prism

10. निकोल प्रिज्म का निर्माण और क्रिया विधि:

निर्माण:

निकोल प्रिज्म, कैल्शाइट खनिज का एक प्रिज्म है जिसे इस तरह से काटा जाता है कि इसकी अपवर्तनांक सूचकांक दो अलग-अलग दिशाओं में भिन्न होता है। प्रिज्म को इस तरह से भी पॉलिश किया जाता है कि इसकी एक सतह पूरी तरह से चिकनी हो।

क्रिया विधि:

जब प्रकाश निकोल प्रिज्म से गुजरता है, तो यह दो किरणों में विभाजित हो जाता है: एक साधारण किरण और एक असाधारण किरण। साधारण किरण, प्रिज्म से कम अपवर्तित होती है, और असाधारण किरण, प्रिज्म से अधिक अपवर्तित होती है।

यदि प्रिज्म को इस तरह से रखा जाए कि असाधारण किरण कुल आंतरिक परावर्तन से गुजरती है, तो साधारण किरण ही प्रिज्म से निकलती है। इस प्रकार, निकोल प्रिज्म केवल ध्रुवीकृत प्रकाश को ही प्रसारित करता है।

उपयोग:

  • ध्रुवीकृत प्रकाश का उत्पादन करने के लिए।
  • ध्रुवीकरण माइक्रोस्कोपी में।
  • फोटोग्राफी में।
  • तरल क्रिस्टल डिस्प्ले में।
















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