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Q.1. मैक्रो न्यूट्रीएंटस (दीर्घ पोषको) का विवरण दीजिए।
        Give the account of macro nutrients.
Ans.

मैक्रो न्यूट्रीएंट्स (दीर्घ पोषक तत्व):

मैक्रो न्यूट्रीएंट्स वे पोषक तत्व हैं जिनकी शरीर को बड़ी मात्रा में आवश्यकता होती है। ये पोषक तत्व ऊर्जा प्रदान करते हैं, ऊतकों का निर्माण और मरम्मत करते हैं, और शरीर के विभिन्न कार्यों को सुचारू रूप से चलाने में मदद करते हैं। तीन मुख्य प्रकार के मैक्रो न्यूट्रीएंट्स हैं:

1. कार्बोहाइड्रेट:

  • ऊर्जा का प्राथमिक स्रोत
  • मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के लिए महत्वपूर्ण
  • फाइबर का एक अच्छा स्रोत
  • विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों में पाए जाते हैं, जैसे कि अनाज, फल, सब्जियां और फलियां

2. प्रोटीन:

  • मांसपेशियों, हड्डियों और त्वचा के निर्माण और मरम्मत के लिए आवश्यक
  • एंजाइम, हार्मोन और एंटीबॉडी बनाने के लिए आवश्यक
  • विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों में पाए जाते हैं, जैसे कि मांस, मछली, अंडे, डेयरी उत्पाद, फलियां और नट्स

3. वसा:

  • ऊर्जा का एक केंद्रित स्रोत
  • कोशिका झिल्ली और हार्मोन बनाने के लिए आवश्यक
  • विटामिन A, D, E और K को अवशोषित करने में मदद करता है
  • विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों में पाए जाते हैं, जैसे कि तेल, मक्खन, नट्स और बीज

मैक्रो न्यूट्रीएंट्स की अनुशंसित दैनिक मात्रा (RDA):

  • कार्बोहाइड्रेट: 45-65% कैलोरी
  • प्रोटीन: 10-35% कैलोरी
  • वसा: 20-35% कैलोरी

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये अनुशंसाएं व्यक्तिगत आवश्यकताओं के आधार पर भिन्न हो सकती हैं।



Q.2. आनिधिन चक्र क्या है?

        What is Ornithin cycle?

Ans. 

आर्निथिन चक्र (Ornithine cycle)

आर्निथिन चक्र, जिसे यूरिया चक्र (Urea cycle) या Krebs-Henseleit cycle भी कहा जाता है, यकृत में होने वाली एक जैव रासायनिक प्रक्रिया है। यह चक्र अमोनिया (NH3) को यूरिया (CO(NH2)2) में परिवर्तित करता है, जो शरीर से मूत्र के माध्यम से उत्सर्जित होता है।

आर्निथिन चक्र के मुख्य कार्य:

  • अमोनिया का विषहरीकरण: अमोनिया एक विषाक्त पदार्थ है जो प्रोटीन के चयापचय के दौरान उत्पन्न होता है। आर्निथिन चक्र अमोनिया को यूरिया में परिवर्तित करके उसे कम विषाक्त बनाता है।
  • यूरिया का उत्पादन: यूरिया एक मुख्य उत्सर्जन उत्पाद है जो शरीर से अमोनिया को बाहर निकालता है।

आर्निथिन चक्र के चरण:

  1. कार्बामॉयल फॉस्फेट का निर्माण: कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) और अमोनिया (NH3) ATP (एडेनोसिन ट्राइफॉस्फेट) की ऊर्जा का उपयोग करके कार्बामॉयल फॉस्फेट (carbamoyl phosphate) में परिवर्तित होते हैं।
  2. सिट्रुलीन का निर्माण: कार्बामॉयल फॉस्फेट और ऑर्निथिन (ornithine) मिलकर सिट्रुलीन (citrulline) बनाते हैं।
  3. आर्जिनिन का निर्माण: सिट्रुलीन और एस्पार्टेट (aspartate) मिलकर आर्जिनिन (arginine) बनाते हैं।
  4. यूरिया का निर्माण: आर्जिनिन एंजाइम (arginase) द्वारा यूरिया और ऑर्निथिन में टूट जाता है।
  5. चक्र का पुनः आरंभ: ऑर्निथिन चक्र में वापस आकर आर्निथिन का पुन: उपयोग होता है।



Q.3. स्टीनी हे लाइन जीव क्या हैं?

What are the stenohaline animals?

Ans.  

स्टेनोहेलाइन जीव (Stenohaline animals):

स्टेनोहेलाइन जीव वे जीव होते हैं जो एक निश्चित लवणता (नमक की सांद्रता) वाले पानी में ही जीवित रह सकते हैं। वे पानी में नमक की मात्रा में बदलाव के प्रति संवेदनशील होते हैं और यदि लवणता सीमा से अधिक या कम हो जाती है तो वे मर सकते हैं।

स्टेनोहेलाइन जीवों के दो मुख्य प्रकार हैं:

  • यूरीहेलिन जीव (Ureohaline animals): ये जीव ताजे पानी में रहते हैं और उनके शरीर में नमक की सांद्रता कम होती है।
  • हालोफिलिक जीव (Halophilic animals): ये जीव खारे पानी में रहते हैं और उनके शरीर में नमक की सांद्रता अधिक होती है।

स्टेनोहेलाइन जीवों के कुछ उदाहरण:

  • यूरीहेलिन जीव:
    • सैलमन (Salmon)
    • ट्राउट (Trout)
    • ईल (Eel)
  • हालोफिलिक जीव:
    • शार्क (Shark)
    • व्हेल (Whale)
    • डॉल्फिन (Dolphin)
    • क्रस्टेशियन (Crustaceans)
    • मोलस्क (Molluscs)


Q.4. न्यूरान्स क्या हैं?

What are neurons.

Ans.  

न्यूरॉन (Neurons) :

न्यूरॉन तंत्रिका तंत्र की मूल इकाई होते हैं। ये विद्युत रूप से उत्तेजक कोशिकाएं होती हैं जो सूचनाओं को प्रसारित, प्रसंस्करण और भंडारण करने के लिए जिम्मेदार होती हैं।

न्यूरॉन की संरचना:

  • सोमा (Soma): यह न्यूरॉन का मुख्य भाग होता है जिसमें केन्द्रक और अन्य महत्वपूर्ण अंगक होते हैं।
  • डेंड्राइट (Dendrites): ये शाखाओं वाले तंतु होते हैं जो अन्य न्यूरॉन्स से सूचनाएं प्राप्त करते हैं।
  • एक्सॉन (Axon): यह एक लंबा, पतला तंतु होता है जो सोमा से अन्य न्यूरॉन्स तक सूचनाएं पहुंचाता है।
  • सिनैप्स (Synapse): यह दो न्यूरॉन्स के बीच जंक्शन होता है जहां सूचनाएं एक न्यूरॉन से दूसरे न्यूरॉन में प्रसारित होती हैं।

न्यूरॉन का कार्य:

  1. सूचना का संचार: न्यूरॉन विद्युत और रासायनिक संकेतों का उपयोग करके सूचनाओं को प्रसारित करते हैं।
  2. सूचना का प्रसंस्करण: न्यूरॉन डेंड्राइट में प्राप्त सूचनाओं को प्रसंस्करण करते हैं और यह तय करते हैं कि एक्सॉन के माध्यम से क्या संकेत भेजे जाएंगे।
  3. स्मृति का भंडारण: न्यूरॉन स्मृति के भंडारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मस्तिष्क में नए कनेक्शन बनाकर नई जानकारी याद रखी जाती है।


Q.5. हार्मोन्स क्या हैं?

What are hormones?

Ans.  

हार्मोन क्या हैं?

हार्मोन रासायनिक संदेशवाहक होते हैं जो रक्त के माध्यम से शरीर में विभिन्न कोशिकाओं और अंगों को संकेत भेजते हैं। ये एंडोक्राइन ग्रंथियों द्वारा उत्पादित होते हैं और शरीर के विभिन्न कार्यों को नियंत्रित करते हैं।

हार्मोन के प्रकार:

हार्मोन को रासायनिक संरचना के आधार पर दो मुख्य समूहों में वर्गीकृत किया जाता है:

  • स्टेरॉयड हार्मोन: ये हार्मोन वसा से बने होते हैं और कोशिका झिल्ली से गुजरकर कोशिका नाभिक में प्रवेश करते हैं।
  • गैर-स्टेरॉयड हार्मोन: ये हार्मोन अमीनो एसिड या प्रोटीन से बने होते हैं और कोशिका झिल्ली के माध्यम से रिसेप्टर्स से जुड़कर अपना कार्य करते हैं।

हार्मोन के कार्य:

हार्मोन शरीर के कई महत्वपूर्ण कार्यों को नियंत्रित करते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • विकास और वृद्धि: हार्मोन हड्डियों, मांसपेशियों और अंगों के विकास और वृद्धि को नियंत्रित करते हैं।
  • चयापचय: हार्मोन भोजन को ऊर्जा में बदलने और रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
  • प्रजनन: हार्मोन प्रजनन अंगों के विकास और प्रजनन प्रक्रिया को नियंत्रित करते हैं।
  • तनाव प्रतिक्रिया: हार्मोन शरीर को तनाव का सामना करने में मदद करते हैं।


Q.6 एन्जाइमस की विशेषताओं पर टिप्पणी लिखिए।
Write note on properties of enzymes.

Ans.  

एन्जाइमों की विशेषताएं (Properties of Enzymes):

एन्जाइम जैविक उत्प्रेरक (biological catalysts) होते हैं जो जैविक प्रतिक्रियाओं (biological reactions) की गति को बढ़ाते हैं। ये प्रोटीन (proteins) से बने होते हैं और विशिष्ट रासायनिक प्रतिक्रियाओं (specific chemical reactions) को उत्प्रेरित करते हैं।

एन्जाइमों की प्रमुख विशेषताएं:

  • उत्प्रेरण: एन्जाइम प्रतिक्रिया दर (reaction rate) को कई गुना बढ़ा सकते हैं, जिससे शरीर में जैविक प्रक्रियाएं (biological processes) तेजी से हो सकती हैं।
  • विशिष्टता: प्रत्येक एंजाइम एक विशिष्ट सब्सट्रेट (specific substrate) के साथ जुड़ता है और केवल उसी सब्सट्रेट के लिए प्रतिक्रिया (reaction) को उत्प्रेरित करता है।
  • आकार और संरचना: एन्जाइमों की तीन आयामी संरचना (three-dimensional structure) उनके विशिष्टता (specificity) और उत्प्रेरण क्षमता (catalytic activity) के लिए महत्वपूर्ण होती है।
  • सक्रिय स्थल: एंजाइमों में एक सक्रिय स्थल (active site) होता है जो सब्सट्रेट (substrate) के साथ जुड़ता है और प्रतिक्रिया (reaction) को उत्प्रेरित करता है।
  • तापमान और pH: एन्जाइमों की उत्प्रेरण क्षमता (catalytic activity) तापमान (temperature) और pH (pH) के प्रति संवेदनशील होती है। प्रत्येक एंजाइम के लिए अनुकूल तापमान (optimum temperature) और अनुकूल pH (optimum pH) होता है जिस पर वह सबसे अधिक सक्रिय होता है।
  • पुन: उपयोग: एन्जाइम पुन: उपयोग (reusable) किए जा सकते हैं और एक ही सब्सट्रेट के कई अणुओं के साथ प्रतिक्रिया कर सकते हैं।
  • अवरोधक: कुछ पदार्थों को अवरोधक (inhibitors) कहा जाता है जो एन्जाइमों की उत्प्रेरण क्षमता (catalytic activity) को कम कर सकते हैं या रोक सकते हैं।



Q.7 तापनियमन पर लेख लिखिए

Write note on thermoregulation.

Ans. 

तापनियमन (Thermoregulation):

तापनियमन (Thermoregulation) एक जैविक प्रक्रिया (biological process) है जो जीवों (organisms) को आंतरिक तापमान (internal temperature) को नियंत्रित (regulate) करने में मदद करती है। यह बाहरी वातावरण (external environment) में तापमान परिवर्तन के बावजूद शरीर के तापमान (body temperature) को एक स्थिर सीमा (stable range) के अंदर रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

तापनियमन के प्रकार:

  • एंडोथर्मिया (Endothermia): गर्म रक्त वाले जानवर (warm-blooded animals), जैसे कि मनुष्य, पक्षी और स्तनधारी, एंडोथर्मिक (endothermic) होते हैं। इसका मतलब है कि वे अपने शरीर (their own bodies) में ऊर्जा (energy) का उत्पादन करके तापमान (temperature) उत्पन्न करते हैं।
  • एक्टोथर्मिया (Ectothermia): ठंडे रक्त वाले जानवर (cold-blooded animals), जैसे कि सरीसृप, मछली और उभयचर, एक्टोथर्मिक (ectothermic) होते हैं। इसका मतलब है कि वे बाहरी वातावरण (external environment) से सूर्य के प्रकाश (sunlight) या गर्म सतहों (warm surfaces) से तापमान (temperature) प्राप्त करते हैं।


Q.8 श्वसन विकारों (रोगों) का वर्णन कीजिए

Describe the respiratory disorders.

Ans.  

श्वसन विकार (Respiratory Disorders):

श्वसन विकार (Respiratory disorders) वे स्वास्थ्य स्थितियां (health conditions) हैं जो फेफड़ों (lungs) और श्वसन प्रणाली (respiratory system) के कार्य (function) को प्रभावित करती हैं।

श्वसन विकारों के प्रकार:

  • अवरुद्ध वायुमार्ग रोग (Obstructive airway diseases):
    • अस्थमा (Asthma): यह एक दीर्घकालिक स्थिति (chronic condition) है जो वायुमार्गों (airways) की सूजन (inflammation) और संकीर्णता (narrowing) का कारण बनती है, जिससे श्वास लेने में तकलीफ (breathing difficulty) होती है।
    • क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिसऑर्डर (COPD): यह फेफड़ों (lungs) को नुकसान पहुंचाने वाली प्रगतिशील स्थिति (progressive condition) है, जिससे श्वास लेने में तकलीफ (breathing difficulty) और खांसी (coughing) होती है।
  • अनिश्चित वायुमार्ग रोग (Restrictive airway diseases):
    • फाइब्रोसिस (Fibrosis): यह फेफड़ों (lungs) में ऊतक (tissue) जख्म (scarring) का कारण बनता है, जिससे फेफड़े (lungs) सिकुड़ (shrink) जाते हैं और श्वसन क्षमता (respiratory capacity) कम हो जाती है।
    • न्यूरोमस्कुलर रोग (Neuromuscular diseases): ये मांसपेशियों (muscles) और नसों (nerves) को प्रभावित करते हैं जो श्वास (breathing) को नियंत्रित करती हैं, जिससे श्वास लेने में तकलीफ (breathing difficulty) हो सकती है।
  • संक्रमण:
    • निमोनिया (Pneumonia): यह फेफड़ों (lungs) का एक संक्रमण (infection) है जो सूजन (inflammation) का कारण बनता है और श्वसन (breathing) में दिक्कत (difficulty) पैदा करता है।
    • तपेदिक (Tuberculosis): यह बैक्टीरिया (bacteria) के कारण होने वाला संक्रामक रोग (infectious disease) है जो फेफड़ों (lungs) को नुकसान पहुंचा सकता है।
  • अन्य:
    • फेफड़ों का कैंसर (Lung cancer): यह फेफड़ों (lungs) में असामान्य कोशिकाओं (abnormal cells) का असामान्य वृद्धि (uncontrolled growth) है।
    • फुफ्फुसीय उच्च रक्तचाप (Pulmonary hypertension): यह फेफड़ों (lungs) में रक्त वाहिकाओं (blood vessels) में उच्च रक्तचाप (high blood pressure) है।

श्वसन विकारों के लक्षण:

  • श्वास लेने में तकलीफ (breathing difficulty)
  • खांसी (coughing)
  • सीने में दर्द (chest pain)
  • सीटी बजना (wheezing)
  • थकान (fatigue)
  • तेज़ सांस लेना (rapid breathing)
  • नीली त्वचा (blue skin)

श्वसन विकारों का निदान:

  • शारीरिक परीक्षा (physical examination)
  • छाती का एक्स-रे (chest X-ray)
  • स्पिरोमेट्री (spirometry)
  • रक्त परीक्षण (blood tests)
  • फेफड़ों की बायोप्सी (lung biopsy)


Q.9 न्यूरोमस्कुलर विकारों (रोगों) के बारे में लिखिए। Write about neuromuscular disorders.
Ans.

न्यूरोमस्कुलर विकार (Neuromuscular Disorders):

न्यूरोमस्कुलर विकार (Neuromuscular disorders) वे स्थितियां हैं जो तंत्रिका तंत्र (nervous system) और मांसपेशियों (muscles) के बीच संचार को प्रभावित करती हैं। ये विकार मांसपेशियों की कमजोरी, थकान, स्तब्धता, झुनझुनाहट, दर्द, और गति में कठिनाई (difficulty in movement) का कारण बन सकते हैं।

न्यूरोमस्कुलर विकारों के प्रकार:

न्यूरोमस्कुलर विकारों को कई श्रेणियों (many categories) में वर्गीकृत किया जा सकता है, जिनमें शामिल हैं:

  • पेशीय विकार (Muscle disorders): ये विकार मांसपेशियों (muscles) को सीधे प्रभावित करते हैं और मांसपेशियों की कमजोरी (muscle weakness), थकान (fatigue), और दर्द (pain) का कारण बन सकते हैं। डचेन मायोपैथी (Duchenne muscular dystrophy) और मायोटोनिक डिस्ट्रोफी (myotonic dystrophy) इस प्रकार के विकारों के कुछ उदाहरण हैं।
  • न्यूरोमोटर जंक्शन विकार (Neuromuscular junction disorders): ये विकार न्यूरोमोटर जंक्शन (neuromuscular junction) को प्रभावित करते हैं, जो वह स्थान है जहां तंत्रिकाएं (nerves) मांसपेशियों (muscles) से जुड़ती हैं। मायस्थेनिया ग्रेविस (myasthenia gravis) और बॉटुलिनम विषाक्तता (botulism poisoning) इस प्रकार के विकारों के कुछ उदाहरण हैं।
  • मोटर न्यूरॉन रोग (Motor neuron diseases): ये विकार मोटर न्यूरॉन्स (motor neurons) को प्रभावित करते हैं, जो वे तंत्रिका कोशिकाएं हैं जो मस्तिष्क (brain) और रीढ़ की हड्डी (spinal cord) से मांसपेशियों (muscles) को संकेत भेजती हैं। एमायोट्रोफिक लैटरल स्क्लेरोसिस (amyotrophic lateral sclerosis) और पोलियो (polio) इस प्रकार के विकारों के कुछ उदाहरण हैं।
  • अन्य न्यूरोमस्कुलर विकार: इनमें जन्मजात विकार (congenital disorders), संक्रमण (infections), और दवाओं के दुष्प्रभाव (drug side effects) शामिल हैं।



Q.10 एड्रोनल ग्रन्थि से स्त्रावित हार्मोन्स के बारे में लिखिए।
Write about hormones secreted by Adrenal gland.

Ans.

अधिवृक्क ग्रंथि द्वारा स्रावित हार्मोन (Hormones Secreted by Adrenal Gland):

अधिवृक्क ग्रंथि (Adrenal gland) दो अंतःस्रावी ग्रंथियों (endocrine glands) का समूह है जो वृक्क (kidneys) के ऊपर स्थित होती हैं। ये ग्रंथियां तनाव (stress) और होमियोस्टेसिस (homeostasis) को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

अधिवृक्क ग्रंथि द्वारा स्रावित मुख्य हार्मोन:

  • ग्लूकोकॉर्टिकॉइड्स (Glucocorticoids): ये हार्मोन कार्बोहाइड्रेट (carbohydrates) को ऊर्जा में बदलने, रक्त शर्करा (blood sugar) के स्तर को नियंत्रित करने, और सूजन (inflammation) को कम करने में मदद करते हैं। कोर्टिसोल (Cortisol) इस समूह का सबसे महत्वपूर्ण हार्मोन है।
  • मिनरलोकार्टिकोइड्स (Mineralocorticoids): ये हार्मोन सोडियम (sodium) और पानी (water) के संतुलन को बनाए रखने में मदद करते हैं। एल्डोस्टेरोन (Aldosterone) इस समूह का सबसे महत्वपूर्ण हार्मोन है।
  • एड्रेनालाईन (Adrenaline) और नोरेपाइनफ्रिन (Norepinephrine): ये हार्मोन लड़ाई या भागो प्रतिक्रिया (fight-or-flight response) को ट्रिगर करते हैं, जो हृदय गति, रक्तचाप, और श्वसन (breathing) को बढ़ाता है।
  • डोपामाइन (Dopamine): यह हार्मोन मनोदशा, गतिविधि, और पुरस्कार (reward) को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।



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