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 प्र.1 नैनो पद्धार्थों का अनुप्रयोग समझाइये।

Explain the applications of nanoparticles.

Ans. 

नैनो पदार्थों के अनुप्रयोग:

नैनो पदार्थ, जिनका आकार 1 से 100 नैनोमीटर के बीच होता है, में अद्वितीय गुण होते हैं जो उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव लाने की क्षमता प्रदान करते हैं। नैनो पदार्थों के कुछ प्रमुख अनुप्रयोग निम्नलिखित हैं:

1. चिकित्सा:

  • रोगों का निदान और उपचार: नैनो कणों का उपयोग दवाओं, जीन और अन्य चिकित्सीय एजेंटों को लक्षित तरीके से शरीर के विशिष्ट भागों तक पहुंचाने के लिए किया जा सकता है। 
  • टिश्यू इंजीनियरिंग: नैनो कणों का उपयोग क्षतिग्रस्त ऊतकों की मरम्मत और पुनर्निर्माण के लिए किया जा सकता है।

2. ऊर्जा:

  • सौर ऊर्जा: नैनो कणों का उपयोग सौर कोशिकाओं की दक्षता में सुधार करने के लिए किया जा सकता है, 
  • बैटरी: नैनो कणों का उपयोग बैटरी को अधिक शक्तिशाली, टिकाऊ और तेज़ी से चार्ज करने योग्य बनाने के लिए किया जा सकता है।

3. इलेक्ट्रॉनिक्स:

  • कंप्यूटर: नैनो कणों का उपयोग कंप्यूटर को तेज़, अधिक शक्तिशाली और कम ऊर्जा खपत करने वाला बनाने के लिए किया जा सकता है।
  • स्मार्टफोन: नैनो कणों का उपयोग स्मार्टफोन को अधिक टिकाऊ, बेहतर डिस्प्ले और बेहतर कैमरों के साथ बनाने के लिए किया जा सकता है।
  • टचस्क्रीन: नैनो कणों का उपयोग अधिक संवेदनशील और टिकाऊ टचस्क्रीन बनाने के लिए किया जा सकता है।


प्र.2 ठोस पदार्थों के लिए बैडं का सिद्धांत लिखिए।

Write band theory of solids.

Ans.  

ठोस पदार्थों के लिए बैंड सिद्धांत:

परिचय:

बैंड सिद्धांत ठोस पदार्थों में इलेक्ट्रॉन ऊर्जा स्तरों का वर्णन करने के लिए एक क्वांटम यांत्रिकी मॉडल है। यह मॉडल बताता है कि इलेक्ट्रॉन केवल विशिष्ट ऊर्जा स्तरों (जिन्हें बैंड कहा जाता है) में मौजूद हो सकते हैं, और इन बैंडों के बीच ऊर्जा अंतर "निषिद्ध अंतराल" कहलाते हैं।

बैंडों के प्रकार:

  • संयोजी बैंड: यह वह बैंड होता है जिसमें परमाणुओं के संयोजक इलेक्ट्रॉन मौजूद होते हैं।
  • चालन बैंड: यह वह बैंड होता है जो खाली होता है या जिसमें बहुत कम इलेक्ट्रॉन होते हैं।
  • निषिद्ध अंतराल: यह संयोजी बैंड और चालन बैंड के बीच की ऊर्जा अंतर होता है।

बैंड सिद्धांत के आधार पर ठोस पदार्थों का वर्गीकरण:

  • धातु: धातुओं में, संयोजी बैंड और चालन बैंड अतिव्यापी होते हैं, जिससे इलेक्ट्रॉन आसानी से एक बैंड से दूसरे बैंड में कूद सकते हैं।
  • अर्धचालक: अर्धचालकों में, संयोजी बैंड और चालन बैंड के बीच एक छोटा निषिद्ध अंतराल होता है।
  • कुचालक: कुचालकों में, संयोजी बैंड और चालन बैंड के बीच एक बड़ा निषिद्ध अंतराल होता है।



प्र.3 तरंग वेग एवं समूह वेग को समझाइये। इन दोनों में सम्बन्ध लिखिए। Define phase velociry and group velocisy write down the relasion between them

Ans.

  • तरंग वेग (Phase Velocity): यह तरंग के चरण अंतरिक्ष में गति करते समय जो वेग दर्शाता है। यह तरंग के कंपन के एक निश्चित बिंदु (जैसे कि शिखर या गर्त) द्वारा तय की गई दूरी प्रति इकाई समय है।
  • समूह वेग (Group Velocity): यह तरंगों के ऊर्जा समूह (जिसे तरंग पैकेट भी कहा जाता है) अंतरिक्ष में गति करते समय जो वेग दर्शाता है। यह तरंग के आयाम के लिफाफे द्वारा तय की गई दूरी प्रति इकाई समय है।

संबंध:

तरंग वेग (Vp) और समूह वेग (Vg) के बीच संबंध तरंग की आवृत्ति (f) और तरंगदैर्ध्य (λ) पर निर्भर करता है।

  • समतल तरंगों के लिए:

समूह वेग (Vg) = तरंग वेग (Vp) × (1 - (Vp^2 * dω/dK^2))

जहाँ,

  • ω = 2πf (कोणीय आवृत्ति)

  • K = 2π/λ (तरंग संख्या)

  • सामान्य तरंगों के लिए:

समूह वेग (Vg) = Vp - K * dVp/dK


प्र.4 कालाब्रित तथा कालअनाश्रित ग्रेडिंजर समीकरण लिखिए। Write down the time defendent and time indefendent Schrodinger equation.

Ans.  

कालअनाश्रित श्रोडिंगर समीकरण:

कालअनाश्रित श्रोडिंगर समीकरण कण की ऊर्जा का वर्णन करता है जो समय पर निर्भर नहीं करता है। इसे निम्नलिखित रूप में लिखा जा सकता है:

-ħ²∇²ψ(r) + V(r)ψ(r) = Eψ(r)

जहाँ:

  • ψ(r): कण का तरंग फलन
  • ∇²: लाप्लासियन ऑपरेटर
  • ħ: कम किया हुआ प्लांक स्थिरांक (ħ = h/2π)
  • V(r): कण पर कार्यरत संभावित ऊर्जा
  • E: कण की ऊर्जा

यह समीकरण कण की स्थिर अवस्थाओं का वर्णन करता है, जो वे स्थितियां हैं जिनमें कण की ऊर्जा समय के साथ नहीं बदलती है।

कालब्रित श्रोडिंगर समीकरण:

कालब्रित श्रोडिंगर समीकरण कण की ऊर्जा का वर्णन करता है जो समय पर निर्भर करता है। इसे निम्नलिखित रूप में लिखा जा सकता है:

iħ∂ψ(r, t)/∂t = -ħ²∇²ψ(r, t) + V(r)ψ(r, t)

जहाँ:

  • ψ(r, t): कण का तरंग फलन
  • ∇²: लाप्लासियन ऑपरेटर
  • ħ: कम किया हुआ प्लांक स्थिरांक (ħ = h/2π)
  • V(r): कण पर कार्यरत संभावित ऊर्जा
  • t: समय

यह समीकरण कण की गतिशील अवस्थाओं का वर्णन करता है, जो वे स्थितियां हैं जिनमें कण की ऊर्जा समय के साथ बदलती है।



प्र.5 आइन्सटीन का द्रव्यमान ऊर्जा सम्बन्ध E-mc लिखिये। Derive Einstein-mass-Energy relation, E=mc².

Ans. विशेष सापेक्षता सिद्धांत (Special Theory of Relativity) के आधार पर, अल्बर्ट आइन्सटीन ने 1905 में द्रव्यमान और ऊर्जा के बीच संबंध स्थापित करने वाला एक प्रसिद्ध समीकरण दिया, जिसे द्रव्यमान-ऊर्जा समीकरण या E=mc² के नाम से जाना जाता है।

यह समीकरण दर्शाता है कि द्रव्यमान और ऊर्जा परस्पर विनिमेय (interchangeable) हैं, यानी एक को दूसरे में परिवर्तित किया जा सकता है।

समीकरण का अर्थ:

  • E: ऊर्जा (जूल में मापी जाती है)
  • m: द्रव्यमान (किलोग्राम में मापा जाता है)
  • c: प्रकाश की गति (शून्य में, 299,792,458 मीटर प्रति सेकंड)

नोटः प्रश्न कमांक 06 से 10 तक के प्रश्न दीर्घउत्तरीय प्रश्न है। प्रत्येक प्रश्न 03 अंक का है।


प्र.6 RC युग्मित प्रवर्धक को समझाइये।

Explain RC Couples amplifier

Ans.

RC युग्मित प्रवर्धक एक प्रकार का इलेक्ट्रॉनिक सर्किट है जिसका उपयोग वोल्टेज प्रवर्धन (voltage amplification) के लिए किया जाता है। यह ट्रांजिस्टर (transistors) का उपयोग करके संकेतों को प्रवर्धित करता है और संधारित्र (capacitors) और प्रतिरोधक (resistors) का उपयोग करके चरणों (stages) के बीच युग्मन (coupling) प्रदान करता है।

कार्यप्रणाली:

RC युग्मित प्रवर्धक में, पहले चरण (first stage) में एक ट्रांजिस्टर होता है जो इनपुट सिग्नल (input signal) को प्रवर्धित करता है। प्रवर्धित संकेत को फिर एक संधारित्र द्वारा दूसरे चरण में युग्मित किया जाता है। संधारित्र DC घटक (DC component) को अवरुद्ध करता है और केवल AC सिग्नल (AC signal) को गुजरने देता है।

दूसरे चरण में, एक और ट्रांजिस्टर होता है जो पहले चरण से प्राप्त AC सिग्नल को और अधिक प्रवर्धित करता है। इस प्रक्रिया को चरण प्रवर्धन (stage amplification) कहा जाता है।

लाभ:

  • RC युग्मित प्रवर्धक सरल (simple) और सस्ते (inexpensive) होते हैं।
  • ये कम आवृत्ति (low frequency) वाले संकेतों के लिए अच्छे (good) होते हैं।
  • इनका निर्माण और रखरखाव आसान (easy) होता है।

नुकसान:

  • RC युग्मित प्रवर्धक उच्च आवृत्ति (high frequency) वाले संकेतों के लिए अच्छे नहीं (not good) होते हैं।
  • इनके पास कम बैंडविड्थ (low bandwidth) होता है।
  • ये शोर (noise) के प्रति अधिक संवेदनशील (sensitive) होते हैं।

उपयोग:

  • RC युग्मित प्रवर्धकों का उपयोग ऑडियो एम्पलीफायरों (audio amplifiers), प्री-एम्पलीफायरों (pre-amplifiers), और ओसीलेटरों (oscillators) में किया जाता है।
  • इनका उपयोग रेडियो (radio) और टेलीविज़न (television) रिसीवरों में भी किया जाता है।


प्र.7 ब्रेग के समीकरण को समझाइए।

Explain Bragg's equation.

Ans. ब्रैग का समीकरण X-किरणों (X-rays) के विवर्तन (diffraction) की व्याख्या करता है जब वे क्रिस्टल (crystals) से टकराते हैं।

यह समीकरण क्रिस्टल में परमाणुओं की व्यवस्था और X-किरणों की तरंगदैर्ध्य (wavelength) के बीच संबंध स्थापित करता है।

सूत्र:

2d sinθ = nλ

जहां:

  • d: क्रिस्टल तल (crystal plane) के बीच की दूरी (मीटर में)
  • θ: X-किरणों के आपतन कोण (degree में)
  • n: विवर्तन क्रम (diffraction order), जो एक पूर्णांक (integer) होता है
  • λ: X-किरणों की तरंगदैर्ध्य (मीटर में)

उपयोग:

ब्रैग का समीकरण का उपयोग क्रिस्टल संरचना (crystal structure) का अध्ययन करने के लिए किया जाता है।

यह X-ray क्रिस्टलोग्राफी (X-ray crystallography) की आधारभूत अवधारणा है, जिसका उपयोग विभिन्न प्रकार के पदार्थों, जैसे प्रोटीन (proteins), धातु (metals), और सेमीकंडक्टर (semiconductors) की संरचना को निर्धारित करने के लिए किया जाता है।

उदाहरण:

मान लीजिए कि X-किरणें 5 डिग्री के कोण पर NaCl क्रिस्टल से टकराती हैं और पहली क्रम (first order) विवर्तन उत्पन्न करती हैं। NaCl क्रिस्टल में परमाणुओं के बीच की दूरी 0.265 nm है।

ब्रैग के समीकरण का उपयोग करके, हम X-किरणों की तरंगदैर्ध्य (λ) की गणना कर सकते हैं:

2 * 0.265 nm * sin(5°) = 1 * λ

λ = 0.154 nm

इसलिए, X-किरणों की तरंगदैर्ध्य 0.154 nm है।


Q.8 Write the Schrodinger's wave equation for a simple harmonic oscillator. एक सरल आवर्ती दौलित के लिये श्रोडिंगर समीकरण लिखिये।

Ans. श्रोडिंगर समीकरण क्वांटम यांत्रिकी में एक मौलिक समीकरण है जो एक कण की तरंग-कण द्वैतता (wave-particle duality) का वर्णन करता है।

यह समीकरण एक कण की संभाव्य ऊर्जा (potential energy) और गतिज ऊर्जा (kinetic energy) को जोड़कर उसकी कुल ऊर्जा (total energy) का वर्णन करता है।

सरल आवर्ती द्रवित (simple harmonic oscillator) एक गतिशील प्रणाली है जिसमें एक कण एक निश्चित बिंदु के चारों ओर एक बल के तहत दोलन करता है।

यह बल, जो कण के विस्थापन के समानुपाती होता है, उसे पुनःस्थापित बल (restoring force) कहा जाता है।

श्रोडिंगर समीकरण:

सरल आवर्ती द्रवित के लिए श्रोडिंगर समीकरण इस प्रकार लिखा जाता है:

-ħ² (d²Ψ / dx²) + (mV² / 2) Ψ(x, t) = E Ψ(x, t)

जहां:

  • Ψ(x, t): कण की तरंग फलन (wave function) है, जो समय (t) और स्थान (x) का फलन है।
  • ħ: कम किया हुआ प्लांक स्थिरांक (reduced Planck constant) है, जो 6.626 × 10^(-34) J s होता है।
  • m: कण का द्रव्यमान (mass) है।
  • V(x): कण की संभाव्य ऊर्जा (potential energy) है।
  • E: कण की कुल ऊर्जा (total energy) है।


प्र.9 What is a rectangular potential barrier? Explain. आयताकार विभव प्राचीर क्या है। समझाइये।

Ans.

आयताकार विभव प्राचीर (Rectangular Potential Barrier) क्वांटम यांत्रिकी में एक काल्पनिक अवधारणा है, जिसका उपयोग क्वांटम टनलिंग (Quantum Tunneling) और अन्य घटनाओं का अध्ययन करने के लिए किया जाता है।

यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें कणों के लिए संभाव्य ऊर्जा (potential energy) स्थिर होती है और एक निश्चित मान (V₀) होती है।

यह क्षेत्र दीवारों (walls) से घिरा होता है जिनकी ऊंचाई V₀ होती है।

विशेषताएं:

  • आयताकार विभव प्राचीर की चौड़ाई (a) को बाधा की चौड़ाई (width of the barrier) कहा जाता है।
  • कणों की गतिज ऊर्जा (kinetic energy) बाधा की ऊंचाई से कम या अधिक हो सकती है।

क्वांटम टनलिंग:

यदि कणों की गतिज ऊर्जा बाधा की ऊंचाई से कम है, तो शास्त्रीय भौतिकी के अनुसार, वे बाधा को पार नहीं कर सकते।

लेकिन क्वांटम यांत्रिकी के अनुसार, कणों की एक छोटी सी संभावना (probability) होती है कि वे बाधा के माध्यम से सुरंग (tunnel) बनाकर दूसरी तरफ पहुंच जाएं।

इस घटना को क्वांटम टनलिंग (quantum tunneling) कहा जाता है।

प्रभावित कारक:

  • कणों की ऊर्जा: जितनी अधिक कणों की ऊर्जा होगी, क्वांटम टनलिंग की संभावना उतनी ही अधिक होगी।
  • बाधा की चौड़ाई: जितनी कम बाधा की चौड़ाई होगी, क्वांटम टनलिंग की संभावना उतनी ही अधिक होगी।
  • कण का द्रव्यमान: जितना कम कण का द्रव्यमान होगा, क्वांटम टनलिंग की संभावना उतनी ही अधिक होगी।

उपयोग:

  • आयताकार विभव प्राचीर का उपयोग डायोड (diodes) और ट्रांजिस्टर (transistors) जैसे अर्धचालक उपकरणों (semiconductor devices) में क्वांटम टनलिंग का अध्ययन करने के लिए किया जाता है।
  • इसका उपयोग परमाणु विखंडन (nuclear fission) और परमाणु संलयन (nuclear fusion) जैसी परमाणु प्रतिक्रियाओं (nuclear reactions) को समझने के लिए भी किया जाता है।







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