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 1. मध्य प्रदेश में स्थित ताप विद्युत एवं जल विद्युत शक्ति संयंत्रों का वर्णन कीजिए 

Ans.

ताप विद्युत गृह (Thermal Power Plant):

  • ये बिजलीघर कोयले को जलाकर भाप बनाते हैं, जिसका उपयोग टरबाइन घुमाने और बिजली पैदा करने के लिए किया जाता है.
  • मध्य प्रदेश में कई ताप विद्युत गृह हैं, जिनमें से कुछ सबसे बड़े हैं:
    • विंध्याचल ताप विद्युत गृह (Singrauli): यह भारत का सबसे बड़ा ताप विद्युत गृह है, जिसकी क्षमता 4760 मेगावाट है.
    • संजय गांधी ताप विद्युत गृह (Korba)
    • महात्मा गांधी सुपर ताप विद्युत गृह (Sarguja)

जल विद्युत गृह (Hydroelectric Power Plant):

  • ये बिजलीघर बहते पानी की गतिज ऊर्जा का उपयोग करके बिजली पैदा करते हैं.
  • नदियों या बांधों पर बनाए जाते हैं.
  • मध्य प्रदेश में कुछ प्रमुख जल विद्युत गृह हैं:
    • इंदिरा सागर जल विद्युत गृह (Mundi) - नर्मदा नदी पर
    • तवा जल विद्युत गृह (Ranipur) - तवा नदी पर

ताप और जल विद्युत में अंतर:

  • ईंधन: ताप विद्युत कोयले पर निर्भर करता है, जबकि जल विद्युत नदी के पानी पर.
  • पर्यावरण: कोयला जलाने से प्रदूषण होता है, जबकि जल विद्युत पर्यावरण के अनुकूल है.
  • लागत: जल विद्युत गृह स्थापित करने में प्रारंभिक लागत अधिक होती है, लेकिन चलाने की लागत कम है. वहीं ताप विद्युत गृहों में लागत का उल्टा है.


2. एम्पीयर का परिपथीय नियम समझाइए एवं इसके उपयोग लिखिए।

Answer.   

एम्पीयर का परिपथीय नियम (Ampere's Circuital Law)

परिभाषा:

एम्पीयर का परिपथीय नियम विद्युत धारा और चुंबकीय क्षेत्र के बीच संबंध स्थापित करने वाला एक मूलभूत नियम है। यह बताता है कि किसी बंद लूप के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र की ताकत उस लूप से गुजरने वाली कुल विद्युत धारा के समानुपातिक होती है।

गणितीय रूप:

∮ B ⋅ dl = μ₀I

जहां:

  • ∮ - लूप के परिपथ के सापेक्ष समाकल (integral)
  • B - चुंबकीय क्षेत्र (Tesla)
  • dl - लूप के बहुत छोटे (infinitesimal) लंबाई का अवयव (element)
  • μ₀ - निर्वात की चुंबकीय पारगम्यता (constant, 4π × 10^-7 Tm/A)
  • I - लूप से गुजरने वाली कुल धारा (Ampere)


उपयोग:

एम्पीयर का परिपथीय नियम चुंबकत्व के विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण अनुप्रयोग रखता है, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:

  • सीधे धारावाही चालक (Straight Current Carrying Conductor) के आसपास चुंबकीय क्षेत्र: इस नियम का उपयोग करके हम सीधे धारावाही चालक के आसपास चुंबकीय क्षेत्र की दिशा और तीव्रता की गणना कर सकते हैं।
  • विद्युत चुम्बक (Electromagnet): विद्युत चुंबक कुंडली और लौह (iron) क्रोड से मिलकर बना होता है। कुंडली में धारा प्रवाहित करने पर एम्पीयर के नियम के अनुसार लौह क्रोड में चुंबकन होता है और एक मजबूत चुंबक का प्रभाव उत्पन्न होता है।


3. आदर्श धारा एवं विभव स्त्रोत को समझाइए 

Ans.  

आदर्श धारा स्त्रोत (Ideal Current Source):

एक आदर्श धारा स्त्रोत एक काल्पनिक उपकरण है जो किसी भी भार (load) से गुजरते हुए एक निश्चित मात्रा में धारा (current) प्रदान करता है, चाहे उस भार का प्रतिरोध (resistance) कुछ भी हो।

विशेषताएं:

  • यह हमेशा एक निश्चित मात्रा में धारा (I) प्रदान करता है, जो भार से स्वतंत्र होती है।
  • इसका आंतरिक प्रतिरोध (internal resistance) शून्य होता है, अर्थात यह भार को कोई अतिरिक्त प्रतिरोध नहीं प्रदान करता है।
  • यह किसी भी वोल्टेज (voltage) पर काम कर सकता है, जो भार द्वारा निर्धारित होता है।

उदाहरण:

  • एक बैटरी जिसे स्थिर धारा स्रोत के रूप में मॉडल किया जाता है।
  • एक ट्रांजिस्टर-आधारित धारा स्रोत।

आदर्श विभव स्त्रोत (Ideal Voltage Source):

एक आदर्श विभव स्त्रोत एक काल्पनिक उपकरण है जो किसी भी भार से जुड़े होने पर एक निश्चित मात्रा में वोल्टेज (voltage) प्रदान करता है, चाहे उस भार का प्रतिरोध (resistance) कुछ भी हो।

विशेषताएं:

  • यह हमेशा एक निश्चित मात्रा में वोल्टेज (V) प्रदान करता है, जो भार से स्वतंत्र होती है।
  • इसका आंतरिक प्रतिरोध (internal resistance) शून्य होता है, अर्थात यह भार को कोई अतिरिक्त प्रतिरोध नहीं प्रदान करता है।
  • यह किसी भी धारा (current) प्रदान कर सकता है, जो भार द्वारा निर्धारित होता है।

उदाहरण:

  • एक बैटरी जिसे स्थिर वोल्टेज स्रोत के रूप में मॉडल किया जाता है।
  • एक ऑपरेशनल एम्पलीफायर (Op-amp) वोल्टेज अनुयायी (voltage follower) सर्किट।

 


4. फैराडे के नियम लिखिए । 

Ans.   

फैराडे के विद्युतचुम्बकीय प्रेरण के नियम (Faraday's Law of Electromagnetic Induction)

फैराडे के विद्युतचुम्बकीय प्रेरण के दो नियम हैं, जो विद्युतचुम्बकीय प्रेरण की घटना का वर्णन करते हैं।

पहला नियम:

किसी बंद लूप में प्रेरित विद्युत वाहक बल (EMF) उस लूप से होकर प्रवाहित चुम्बकीय फ्लक्स के परिवर्तन की दर के बराबर होता है।

गणितीय रूप में:

EMF = - dΦ / dt

जहाँ:

  • EMF - प्रेरित विद्युत वाहक बल (Volt)
  • Φ - चुम्बकीय फ्लक्स (Weber)
  • t - समय (seconds)
  • d - परिवर्तन (change)

दूसरा नियम:

किसी बंद लूप में प्रेरित विद्युत वाहक बल (EMF) की दिशा इस तरह होती है कि यह प्रेरित धारा (induced current) को उस दिशा में प्रवाहित करे जो चुम्बकीय क्षेत्र के परिवर्तन का विरोध करे।

उदाहरण:

  • विद्युत जनरेटर: जब एक चुंबक को तार के लूप के पास घुमाया जाता है, तो लूप में विद्युत वाहक बल (EMF) प्रेरित होता है, जिसके कारण धारा प्रवाहित होती है। यह विद्युत जनरेटर के काम करने का सिद्धांत है।

अनुप्रयोग:

फैराडे के नियमों का उपयोग विभिन्न विद्युत उपकरणों में किया जाता है, जैसे:

  • विद्युत जनरेटर
  • ट्रांसफॉर्मर
  • इलेक्ट्रिक मोटर
  • इंडक्शन कुकर
  • मेटल डिटेक्टर


5.  ब्रूस्टर का नियम लिखिए 

Ans.  

ब्रूस्टर का नियम (Brewster's Law)

ब्रूस्टर का नियम प्रकाश के ध्रुवीकरण (polarization) से संबंधित एक महत्वपूर्ण नियम है। यह बताता है कि जब प्रकाश एक पारदर्शी माध्यम से दूसरे पारदर्शी माध्यम में एक विशिष्ट कोण पर आपतित होता है, तो परावर्तित प्रकाश पूर्णतः ध्रुवीकृत हो जाता है।

सूत्र:

tan θB = n1 / n2

जहाँ:

  • θB - ब्रूस्टर कोण (Brewster's angle)
  • n1 - पहले माध्यम का अपवर्तनांक (refractive index)
  • n2 - दूसरे माध्यम का अपवर्तनांक (refractive index)

विशेषताएं:

  • ब्रूस्टर कोण केवल तभी होता है जब प्रकाश पहले माध्यम से दूसरे माध्यम में आपतित होता है।
  • ब्रूस्टर कोण और ध्रुवीकरण कोण (polarizing angle) समान होते हैं।
  • इस कोण पर, परावर्तित किरण और अपवर्तित किरण एक दूसरे के लंबवत होती हैं।

उदाहरण:

  • जब सूर्य का प्रकाश पानी की सतह से परावर्तित होता है, तो परावर्तित प्रकाश ध्रुवीकृत होता है। यदि हम इस परावर्तित प्रकाश को पानी की सतह पर एक निश्चित कोण पर पड़ने देते हैं, तो यह पूरी तरह से ध्रुवीकृत हो जाएगा। यह कोण ब्रूस्टर कोण होगा।

अनुप्रयोग:

ब्रूस्टर का नियम विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग किया जाता है, जैसे:

  • ध्रुवीकरण (polarization)
  • ऑप्टिकल उपकरणों का डिजाइन
  • फोटोग्राफी
  • दूरबीन (telescopes)


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