Q.1 पादप ऊतक तंत्र पर टिप्पणी लिखिए।
Write short notes on plant tissue System.
पादप ऊतक तंत्र (Plant Tissue System)
पादप ऊतक तंत्र विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं का समूह होता है जो एक साथ मिलकर एक विशिष्ट कार्य करते हैं। ये तंत्र पौधों के विभिन्न भागों में पाए जाते हैं और उनके विकास, समर्थन, परिवहन और भोजन के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
पादप ऊतक तंत्र के मुख्य प्रकार निम्नलिखित हैं:
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त्वचीय ऊतक तंत्र (Epidermal Tissue System): यह पौधे के बाहरी भाग को ढकता है और रक्षा, जल संरक्षण और गैस विनिमय जैसे कार्यों को करता है।
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मृदु ऊतक तंत्र (Parenchyma Tissue System): यह पौधे के विभिन्न भागों में पाया जाता है और भोजन भंडारण, प्रकाश संश्लेषण, समर्थन और गैस विनिमय जैसे कार्यों को करता है।
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वाहक ऊतक तंत्र (Vascular Tissue System): यह जल और भोजन के परिवहन के लिए जिम्मेदार होता है। इसमें जाइलम और फ्लोएम शामिल होते हैं।
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यांत्रिक ऊतक तंत्र (Mechanical Tissue System): यह पौधों को सहारा और आकार प्रदान करता है। इसमें कोलेन्काइमा और स्क्लेरेन्काइमा शामिल होते हैं।
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स्रावी ऊतक तंत्र (Secretory Tissue System): यह विभिन्न प्रकार के चयापचय उत्पादों का उत्पादन और स्राव करता है। इसमें तेल ग्रंथियां, मधु ग्रंथियां और राल नलिकाएं शामिल होती हैं।
पादप ऊतक तंत्र की विशेषताएं:
- विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं से बना होता है।
- एक विशिष्ट कार्य करता है।
- पौधे के विभिन्न भागों में पाया जाता है।
- पौधों के विकास, समर्थन, परिवहन और भोजन के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
Q.2 ट्यूनिका कार्पस वाद को समसाइए ।
Explain Tunica-Carpus theory.
Q.3 रस दास एवं अंतः काष्ठ में अंतर बताइए ।
Differentiate between Sap wood and Heart wood.
रस दास एवं अंतः काष्ठ में अंतर:
रस दास (Sapwood) और अंतः काष्ठ (Heartwood), दोनों ही वृक्ष के तने के महत्वपूर्ण भाग हैं, जो जल परिवहन और संरचनात्मक समर्थन प्रदान करते हैं।
यहाँ रस दास और अंतः काष्ठ के बीच मुख्य अंतरों की तुलनात्मक तालिका दी गई है:
क्रमांक | विशेषता | रस दास (Sapwood) | अंतः काष्ठ (Heartwood) |
---|---|---|---|
1 | स्थिति | तने के बाहरी (परिधीय) भाग में | तने के मध्य भाग में |
2 | कोशिकाएँ | तुलनात्मक रूप से छोटी और जीवित | अपेक्षाकृत अधिक पुरानी और मृत |
3 | नाम | अल्बर्नम (Alburnum) | हार्टवुड (Heartwood) |
4 | रंग | हल्का रंग | गहरा रंग |
5 | कार्य | जल परिवहन और प्रकाश संश्लेषण | संरचनात्मक समर्थन |
6 | वाहिकाएँ और ट्रेकिड्स | खुले और कार्यात्मक | टायलोज़ द्वारा लुमेन बंद |
7 | अर्गैस्टिक पदार्थ | भंडारण नहीं करता | रेजिन और टैनिन जैसे पदार्थों को संग्रहित करता है |
8 | वजन | हल्का | भारी |
9 | टिकाऊपन | कम टिकाऊ | अधिक टिकाऊ |
10 | उपयोग | फर्नीचर के लिए कम उपयुक्त | फर्नीचर और निर्माण के लिए उपयुक्त |
11 | कीट और फंगस प्रतिरोध | कम प्रतिरोधी | अधिक प्रतिरोधी |
Q.4 पुष्प की संरचना पर संक्षिप्त रिटपड़ठी लिखिए।
Write notes en flower structure of flower.
पुष्प की संरचना:
पुष्प पौधे का प्रजनन अंग होता है। यह विभिन्न भागों से मिलकर बना होता है, जिनमें से प्रत्येक का अपना विशिष्ट कार्य होता है।
पुष्प के मुख्य भाग चार होते हैं:
- बाह्यदल (Calyx): यह हरे रंग के पत्तेदार संरचनाओं का समूह होता है जो पुष्प के सबसे बाहरी भाग में स्थित होता है। बाह्यदल पुष्प को सहारा और सुरक्षा प्रदान करते हैं।
- दलपुंज (Corolla): यह रंगीन पंखुड़ियों का समूह होता है जो बाह्यदल के अंदर स्थित होता है। दलपुंज कीटों को आकर्षित करता है और परागण में सहायता करता है।
- पुंकेसर (Androecium): यह पुरुष प्रजनन अंगों का समूह होता है। प्रत्येक पुंकेसर में दो भाग होते हैं - तंतु और परागकोश। तंतु परागकोश को सहारा देता है, और परागकोश में परागकण (पुरुष युग्मक) उत्पन्न होते हैं।
- बीजांड (Gynoecium): यह स्त्री प्रजनन अंग होता है। यह पुष्प के केंद्र में स्थित होता है। बीजांड में एक या एक से अधिक अंडाशय होते हैं। प्रत्येक अंडाशय में एक या एक से अधिक बीजांड होते हैं। बीजांड में अंडाणु (स्त्री युग्मक) उत्पन्न होते हैं।
पुष्प के कुछ अन्य महत्वपूर्ण भाग:
- पुष्पासन (Receptacle): यह वह भाग होता है जिस पर बाकी सभी भाग जुड़े होते हैं।
- पुष्पवृंत (Pedicel): यह डंठल होता है जो पुष्प को तने से जोड़ता है।
- अंडाशय (Ovary): यह बीजांडों को घेरने वाला संरचना होता है।
- बीजांक (Ovule): यह वह संरचना होती है जिसमें अंडाणु होता है।
- परागकण (Pollen grain): यह पुरुष युग्मक होता है।
- अंडाणु (Egg cell): यह स्त्री युग्मक होता है।
पुष्प की संरचना को समझने से हमें पौधों के प्रजनन और जीवन चक्र को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलती है।
Q.5 परागण किसे कहते हैं।
What is pollination.
परागण, पौधों में पुरुष युग्मक (परागकण) को स्त्री युग्मक (अंडाणु) तक पहुंचाने की प्रक्रिया है। यह प्रक्रिया पौधों के प्रजनन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
परागण दो मुख्य तरीकों से होता है:
- अबीजात परागण (Self-pollination): यह तब होता है जब एक ही फूल के परागकण उसी फूल के कलंक तक पहुंचते हैं।
- परपरागण (Cross-pollination): यह तब होता है जब एक फूल के परागकण दूसरे फूल के कलंक तक पहुंचते हैं।
परागण विभिन्न माध्यमों से हो सकता है, जिनमें शामिल हैं:
- पवन परागण (Wind pollination): हवा परागकणों को एक फूल से दूसरे फूल तक ले जाती है। यह घास, अनाज और अन्य पवन परागित पौधों में आम होता है।
- जल परागण (Water pollination): पानी परागकणों को एक फूल से दूसरे फूल तक ले जाता है। यह जलकुंभियों और अन्य जलीय पौधों में आम होता है।
- कीट परागण (Insect pollination): मधुमक्खियां, तितलियां और अन्य कीट परागकणों को एक फूल से दूसरे फूल तक ले जाते हैं। यह कई फूलों वाले पौधों में आम होता है।
नोटः प्रश्न कमांक 06 से 10 तक के प्रश्न दीर्घउत्तरीय प्रश्न है। प्रत्येक प्रश्न 04 अंक का लें
Q.6 निषेचन क्या है? आवृतबीजी पौधों में द्वीनिषेचन की प्रकिया को समझाइए ।
What is fertilization? Explain double fertilizations in Angiospermic plants.
निषेचन क्या है?
निषेचन एक जैविक प्रक्रिया है जिसमें पुरुष युग्मक (परागकण) और स्त्री युग्मक (अंडाणु) मिलकर एक युग्मज बनाते हैं। यह प्रक्रिया पौधों, जानवरों और अन्य जीवों में प्रजनन के लिए आवश्यक है।
पौधों में निषेचन:
पौधों में, निषेचन बीजांड के अंदर होता है। परागकण कलंक पर गिरते हैं और वहां अंकुरित होते हैं। पराग नली कलंक से बीजांड तक बढ़ती है और अंडाणु तक पहुंचती है। पराग नली से एक पुरुष युग्मक निकलकर अंडाणु से मिलता है। इस प्रक्रिया को निषेचन कहा जाता है।
आवृतबीजी पौधों में द्वि-निषेचन:
आवृतबीजी पौधों में, निषेचन के दौरान एक अनूठी घटना होती है जिसे द्वि-निषेचन कहा जाता है। द्वि-निषेचन में, दो पुरुष युग्मक दो अलग-अलग कोशिकाओं के साथ मिलकर दो अलग-अलग संरचनाएं बनाते हैं:
- युग्मज: एक पुरुष युग्मक अंडाणु से मिलकर युग्मज बनाता है। युग्मज अंततः एक बीज में विकसित होता है।
- द्वितीयक भ्रूणपोष केंद्रक: दूसरा पुरुष युग्मक ध्रुवीय नाभिक नामक दो कोशिकाओं से मिलकर द्वितीयक भ्रूणपोष केंद्रक बनाता है। ध्रुवीय नाभिक बीजांड के भ्रूणपोष ऊतक में पाए जाते हैं। द्वितीयक भ्रूणपोष केंद्रक भ्रूणपोष को विकसित करने के लिए आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है।
Q.7 एक प्रारुपिक एक बीजपदी भूण के विकास का वर्णन कीजिए ।
Explain embryo development of a typical mono cotyleden.
एक प्रारुपिक एकबीजपत्री भ्रूण का विकास:
एकबीजपत्री पौधों में भ्रूण का विकास निम्नलिखित चरणों में होता है:
1. निषेचन:
- पराग नली कलंक से बीजांड तक बढ़ती है और अंडाणु तक पहुंचती है।
- एक पुरुष युग्मक (पराग कण) अंडाणु से मिलकर युग्मज बनाता है।
2. युग्मज विभाजन:
- युग्मज दो कोशिकाओं में विभाजित होता है:
- विपुल कोशिका: यह कोशिका एक बड़ा भ्रूणपोष बनाती है जो भ्रूण को पोषण प्रदान करता है।
- सूक्ष्म कोशिका: यह कोशिका भ्रूण का निर्माण करती है।
3. सूक्ष्म कोशिका का विभाजन:
- सूक्ष्म कोशिका तीन कोशिकाओं में विभाजित होती है:
- तल कोशिका: यह कोशिका जड़ का निर्माण करती है।
- मध्य कोशिका: यह कोशिका तना और पत्तियों का निर्माण करती है।
- अग्र कोशिका: यह कोशिका प्रांकुर और बीजपत्र का निर्माण करती है।
4. भ्रूण का विकास:
- तल कोशिका जड़ में विकसित होती है।
- मध्य कोशिका तना और पत्तियों में विकसित होती है।
- अग्र कोशिका प्रांकुर और बीजपत्र में विकसित होती है।
- भ्रूणपोष भ्रूण को पोषण प्रदान करता है।
5. बीज का निर्माण:
- भ्रूण और भ्रूणपोष बीज में विकसित होते हैं।
- बीज एक बीजकोष से घिरा होता है।
एकबीजपत्री भ्रूण की विशेषताएं:
- एकबीजपत्री भ्रूण में एक ही बीजपत्र होता है।
- एकबीजपत्री भ्रूण में जड़ का एक मुख्य भाग होता है।
- एकबीजपत्री भ्रूण में तना और पत्तियों के लिए एक प्रांकुर होता है।
उदाहरण:
- चावल
- गेहूं
- मक्का
Q.8 प्ररोह शीर्ष संगठन के विभिन्न विद्धांतो को सम्माइए
Explain different theory on Shoot apex organization.
प्ररोह शीर्ष संगठन के विभिन्न सिद्धांत:
प्ररोह शीर्ष (Shoot Apex) पौधे के तने के शीर्ष पर स्थित एक संरचना है जो नई वृद्धि और विकास के लिए जिम्मेदार होती है। प्ररोह शीर्ष में विभिन्न प्रकार की कोशिकाएँ होती हैं जो विशिष्ट कार्यों को करती हैं।
प्ररोह शीर्ष संगठन को समझने के लिए कई सिद्धांत प्रस्तावित किए गए हैं। इनमें से कुछ प्रमुख सिद्धांत निम्नलिखित हैं:
1. ट्यूनिका-कॉर्पस सिद्धांत (Tunica-Corpus Theory):
यह सिद्धांत 1924 में श्मिट (Schmidt) द्वारा प्रस्तावित किया गया था। यह सिद्धांत प्ररोह शीर्ष को दो मुख्य भागों में विभाजित करता है:
- ट्यूनिका (Tunica): यह बाहरी भाग होता है जिसमें अपेक्षाकृत युवा और कम विभेदित कोशिकाएँ होती हैं। ट्यूनिका पत्तियों, तने और कलियों का निर्माण करती है।
- कॉर्पस (Corpus): यह आंतरिक भाग होता है जिसमें अपेक्षाकृत बड़ी और अधिक विभेदित कोशिकाएँ होती हैं। कॉर्पस जड़ों और संवहन ऊतकों का निर्माण करती है।
2. एपिकल-कोरोलस सिद्धांत (Apical-Coronal Theory):
यह सिद्धांत 1932 में हानस्टीन (Hanstein) द्वारा प्रस्तावित किया गया था। यह सिद्धांत प्ररोह शीर्ष को तीन मुख्य भागों में विभाजित करता है:
- एपिकल सेल (Apical Cell): यह शीर्ष पर स्थित एक एकल कोशिका होती है जो सभी ऊतकों के लिए प्रारंभिक कोशिकाओं को जन्म देती है।
- फ़्लैंक मेरिस्टेम (Flank Meristem): यह एपिकल सेल के चारों ओर स्थित कोशिकाओं का एक समूह होता है जो पत्तियों और तने का निर्माण करता है।
- रिज मेरिस्टेम (Ridge Meristem): यह फ़्लैंक मेरिस्टेम के नीचे स्थित कोशिकाओं का एक समूह होता है जो जड़ों और संवहन ऊतकों का निर्माण करता है।
3. ज़ोनल मॉडल (Zonal Model):
यह सिद्धांत 1952 में मोहर (Mohr) द्वारा प्रस्तावित किया गया था। यह सिद्धांत प्ररोह शीर्ष को विभिन्न कार्यात्मक क्षेत्रों में विभाजित करता है, जिनमें शामिल हैं:
- केंद्रीय ज़ोन (Central Zone): यह ज़ोन एपिकल सेल और कुछ आसपास की कोशिकाओं से बना होता है। यह ज़ोन नए ऊतकों के लिए प्रारंभिक कोशिकाओं को जन्म देता है।
- पार्श्व ज़ोन (Lateral Zone): यह ज़ोन केंद्रीय ज़ोन के चारों ओर स्थित होता है। यह ज़ोन पत्तियों और तने का निर्माण करता है।
- अंतः ज़ोन (Medullary Zone): यह ज़ोन पार्श्व ज़ोन के नीचे स्थित होता है। यह ज़ोन जड़ों और संवहन ऊतकों का निर्माण करता है।
Q.9 अनुकूलन क्या है? मरुदिभिद पौधों में पाये जाने वाले पारिस्थितिक अनुकुलनों का वर्णन कीजिए।
What is Adaptation? Explain ecological adaptation in Xerophytes plants.
अनुकूलन किसी जीव द्वारा अपने पर्यावरण में बेहतर ढंग से जीवित रहने और प्रजनन करने के लिए विकसित किए गए विशेष लक्षण या व्यवहार होते हैं।
जीव अपने जीवनकाल में या कई पीढ़ियों के दौरान अनुकूलन विकसित कर सकते हैं। अनुकूलन जीवों को अस्तित्व में रहने, प्रजनन करने और प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करने में मदद करते हैं।
अनुकूलन के दो मुख्य प्रकार हैं:
- शारीरिक अनुकूलन: ये अनुकूलन जीव के शरीर में होते हैं। उदाहरण के लिए, मरुद्भिदी पौधों में मोटी पत्तियां, गहरी जड़ें और कम रोम होते हैं जो उन्हें पानी का संरक्षण करने और गर्म तापमान का सामना करने में मदद करते हैं।
- व्यवहारिक अनुकूलन: ये अनुकूलन जीव के व्यवहार में होते हैं। उदाहरण के लिए, कुछ जानवर दिन के गर्म समय में सो जाते हैं और रात में सक्रिय होते हैं जब तापमान कम होता
मरुद्भिद पौधों में पाए जाने वाले कुछ सामान्य अनुकूलनों में शामिल हैं:
- पत्तियों का आकार और आकार: मरुद्भिद पौधों में अक्सर छोटी, मोटी पत्तियां होती हैं जो पानी के नुकसान को कम करने में मदद करती हैं। कुछ पौधों में सुई जैसी पत्तियां होती हैं जो सतह क्षेत्र को कम करती हैं और वाष्पीकरण को कम करती हैं।
- पत्तियों की सतह: मरुद्भिद पौधों की पत्तियों की सतह पर अक्सर मोटी मोम की परत होती है जो पानी के नुकसान को रोकने में मदद करती है। कुछ पत्तियों में बाल या रेशे होते हैं जो छाया प्रदान करते हैं और वाष्पीकरण को कम करते हैं।
- जड़ प्रणाली: मरुद्भिद पौधों में अक्सर गहरी जड़ प्रणाली होती है जो उन्हें मिट्टी से पानी निकालने में मदद करती है। कुछ पौधों में सतही जड़ें भी होती हैं जो बारिश के पानी को अवशोषित करती हैं।
- जल भंडारण: मरुद्भिद पौधे अक्सर अपने तनों, पत्तियों या जड़ों में पानी का भंडारण करते हैं। यह उन्हें सूखे की अवधि के दौरान जीवित रहने में मदद करता है।
- कम चयापचय दर: मरुद्भिद पौधों में अक्सर कम चयापचय दर होती है जो उन्हें कम पानी का उपयोग करने में मदद करती है।
- निशाचर गतिविधि: कुछ मरुद्भिद पौधे रात में सक्रिय होते हैं जब तापमान कम होता है और वाष्पीकरण कम होता है।
Q.10 आवृत्तबीशियों में नर युग्मकेंद्रिभिद के विकास का वर्णन कीजिए
Explain development ay male gametophyte in Angiospermic plants.
आवृतबीजी पौधों में नर युग्मकेंद्रक (पुरुष युग्मक) का विकास:
नर युग्मकेंद्रक (पुरुष युग्मक) आवृतबीजी पौधों में परागकण के अंदर विकसित होते हैं। परागकण परागकोश में उत्पन्न होते हैं, जो पुंकेसर का भाग होता है।
नर युग्मकेंद्रक के विकास के चरण:
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परिपक्व परागकण: परागकोश में परागकण द्विकेन्द्रकीय होते हैं, जिसमें एक वनस्पति केन्द्रक और एक जनन केन्द्रकहोता है।
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जनन केन्द्रक का विभाजन: परागण के बाद, परागकण कलंक पर गिरता है और वहां अंकुरित होता है। पराग नली कलंक से बीजांड तक बढ़ती है। पराग नली में, जनन केन्द्रक दो नर युग्मकोंमें विभाजित होता है।
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नर युग्मक: दो नर युग्मक पराग नली के अग्र भाग में स्थित होते हैं। ये नर युग्मक अगुणित होते हैं, प्रत्येक में आधा गुणसूत्र (n) होता है।
नर युग्मकेंद्रक के प्रकार:
आवृतबीजी पौधों में दो मुख्य प्रकार के नर युग्मकेंद्रक होते हैं:
- द्विकेन्द्रकीय परागकण:इन परागकणों में दो कोशिकाएं होती हैं: एक वनस्पति केन्द्रक और एक जनन केन्द्रक। जनन केन्द्रक पराग नली में विभाजित होकर दो नर युग्मक बनाता है।
- त्रिकेन्द्रकीय परागकण:इन परागकणों में तीन कोशिकाएं होती हैं: एक वनस्पति केन्द्रक और दो जनन केन्द्रक। प्रत्येक जनन केन्द्रक पराग नली में विभाजित होकर एक नर युग्मक बनाता है।
नर युग्मकेंद्रक का महत्व:
- नर युग्मक निषेचन के लिए आवश्यक होते हैं।
- नर युग्मक वंशानुगत विविधता को पौधों में लाते हैं।
- नर युग्मक नए जीवन की शुरुआत करते हैं।
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