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 Q.1 संवहन फूल पर संक्षिप्त टिप्पणीं लिखिए। Write short notes on vascular Bundle.

संवहन पूल (Vascular Bundle):

परिभाषा:

संवहन पूल, पौधों में ऊतकों का एक समूह होता है जो जल, खनिज और खाद्य पदार्थों का परिवहन करते हैं। यह जड़ों, तनों, पत्तियों और फूलों में पाए जाते हैं।

संरचना:

संवहन पूलों में मुख्य रूप से दो प्रकार के ऊतक होते हैं:

  • जाइलम (Xylem): यह ऊतक जल और खनिजों का परिवहन जड़ों से पत्तियों तक करता है।
  • फ्लोएम (Phloem): यह ऊतक खाद्य पदार्थों का परिवहन पत्तियों से अन्य भागों तक करता है।

इन दो मुख्य ऊतकों के अलावा, संवहन पूलों में सहायक ऊतक जैसे कि स्क्लेरेनकाइमा और कोलेनकाइमा भी हो सकते हैं।

महत्व:

संवहन पूल पौधों के जीवन के लिए आवश्यक हैं। वे जल, खनिज और खाद्य पदार्थों के परिवहन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जो पौधों के विकास और चयापचय के लिए आवश्यक हैं।


Q.2 डेड्रोक्रोनोलॉजी क्या है?
What is Dendrochronology?

डेंड्रोक्रोनोलॉजी क्या है?

डेंड्रोक्रोनोलॉजी (Dendrochronology) विज्ञान की एक शाखा है जो पेड़ों और झाड़ियों में पाए जाने वाले वार्षिक वृद्धि के छल्लों का अध्ययन करती है। इसे ट्री-रिंग डेटिंग (Tree-ring Dating) के नाम से भी जाना जाता है।

डेंड्रोक्रोनोलॉजिस्ट इन छल्लों का सटीक वर्ष निर्धारण करते हैं, जिस वर्ष वे पेड़ में बने थे। इन छल्लों को ग्रोथ रिंग (Growth Rings) भी कहा जाता है। डेंड्रोक्रोनोलॉजी में इन छल्लों के विकास पैटर्न का अध्ययन किया जाता है।

इन पैटर्नों से वैज्ञानिकों को उस वर्ष के मौसम या स्थितियों के बारे में जानकारी मिलती है। डेंड्रोक्रोनोलॉजी का उपयोग पिछली घटनाओं की तारीखों और कालानुक्रमिक क्रम को निर्धारित करने के लिए किया जाता है।

डेंड्रोक्रोनोलॉजी की स्थापना 1920 के दशक में एंड्रयू ई. डगलस (A.E. Douglass) ने की थी। डेंड्रोक्रोनोलॉजी में ओक (Oak) की प्रजाति का उपयोग ज़्यादा किया जाता है। यूरोप में विकसित किया गया सबसे लंबा वृक्ष-रिंग कालक्रम करीब 10,000 साल पुराना है।



Q.3 श्वसन मूल क्या है? इन पर संक्षिप्त टिप्पणीं लिखिए।
What is Preumetophores? Write short notes on it.

श्वसन मूल (Pneumatophores)

परिभाषा:

श्वसन मूल (Pneumatophores) मैंग्रोव और कुछ अन्य जलीय पौधों की जड़ों का एक विशेष प्रकार होता है जो हवा में सांस लेने में उनकी मदद करते हैं। ये जड़ें मिट्टी से ऊपर उगती हैं और छिद्रों से युक्त होती हैं जो ऑक्सीजन को अंदर लेने और कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकालने की अनुमति देते हैं।

उदाहरण:

Rhizophora (राइजोफोरा), Sonneratia (सोनेराटिया), और Bruguiera (ब्रुगुइएरा) मैंग्रोव प्रजातियों में श्वसन मूल के अच्छे उदाहरण हैं।



Q.4 पुष्प एक रूपांतरित प्ररोह है। समसाइए ।
Explain flower is a modified shoot.

पुष्प एक रूपांतरित प्ररोह है:

पुष्प को रूपांतरित प्ररोह (Modified Shoot) माना जाता है क्योंकि यह प्ररोह (Shoot) की संरचना और विकास से विकसित होता है।

प्रमाण:

  1. स्थिति: पुष्प प्ररोह के शीर्ष पर विकसित होता है।
  2. विकास: पुष्प कली (Bud) से विकसित होता है, जो प्ररोह की टिप (Tip) पर बनता है।
  3. पत्तियों की उपस्थिति: पुष्प में संशोधित पत्तियां होती हैं जिन्हें बाह्यदल (Sepals), दल (Petals), पुंकेसर (Stamens), और बाईंकेसर (Carpels) कहा जाता है।
  4. अक्षीय संरचना: पुष्प में अक्षीय संरचना (Axial Structure) होती है, जो प्ररोह की तरह होती है।
  5. संवहन पूलों की उपस्थिति: पुष्प में संवहन पूल (Vascular Bundles) होते हैं जो जल और खनिज का परिवहन करते हैं, जैसे कि प्ररोह में होते हैं।

निष्कर्ष:

पुष्प को रूपांतरित प्ररोह माना जाता है क्योंकि यह प्ररोह से विकसित होता है और संरचना और विकास में कई समानताएं रखता है।

पुष्प में प्रजनन के लिए विशेष रूप से अनुकूलित संरचना होती है, जो इसे प्ररोह से अलग करती है।


Q.5 भ्रूणपोष क्या है?
What is Endosperm?

भ्रूणपोष (Endosperm) क्या है?

भ्रूणपोष (Endosperm) आवृतबीजी पौधों (Angiosperms) के बीजों में पाया जाने वाला एक ऊतक होता है जो भ्रूण (Embryo) को घेरकर पोषण देता है। यह कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, और लिपिड से भरपूर होता है।

भ्रूणपोष के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं:

  • भ्रूण को पोषण प्रदान करना: भ्रूणपोष में मौजूद पोषक तत्व विकासशील भ्रूण के लिए भोजन का स्रोत प्रदान करते हैं।
  • बीज की सुरक्षा: भ्रूणपोष बीज को बाहरी क्षति और पर्यावरणीय तनाव से बचाने में मदद करता है।
  • बीज का अंकुरण: कुछ बीजों में, भ्रूणपोष अंकुरण (Germination) की प्रक्रिया में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

भ्रूणपोष का निर्माण:

भ्रूणपोष का निर्माण दोहरे निषेचन (Double Fertilization) की प्रक्रिया के दौरान होता है, जो केवल आवृतबीजी पौधों में होता है। इस प्रक्रिया में, एक परागकण (Pollen Grain) बीजांड (Ovule) के अंडा कोशिका (Egg Cell) और ध्रुवीय केंद्रक (Polar Nuclei) को निषेचित करता है।

  • अंडा कोशिका से भ्रूण का निर्माण होता है।
  • ध्रुवीय केंद्रक से भ्रूणपोष का निर्माण होता है।



नोटः प्रश्न क्रमांक 06 से 10 तक के प्रश्न दीर्घउत्तरीय प्रश्न है। प्रत्येक प्रश्न 04 अंक का लें


Q.6 विभज्योतक की परिभाषा लिखिए। मूलाग्र संगठन के विभिन्न वादों को समझाइए।
Give the definition of meristematic tissue. Explain the different concept of organization.

विभज्योतक (Meristematic Tissue)

विभज्योतक (Meristematic Tissue) पौधों में पाए जाने वाले ऊतकों का एक प्रकार होता है जो नई कोशिकाओं का निर्माण करने में सक्षम होते हैं। ये कोशिकाएं सक्रिय रूप से विभाजित होती हैं और विभेदित होकर स्थायी ऊतकों में विकसित होती हैं।

विभज्योतक के प्रकार:

विभज्योतक को तीन मुख्य प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है:

  1. शीर्षस्थ विभज्योतक (Apical Meristem): यह विभज्योतक तनों, जड़ों और पत्तियों के शीर्ष पर पाया जाता है और लंबाई (Length) में वृद्धि के लिए जिम्मेदार होता है।
  2. पार्श्व विभज्योतक (Lateral Meristem): यह विभज्योतक तनों और जड़ों की मोटाई (Thickness) में वृद्धि के लिए जिम्मेदार होता है।
  3. अंतर्वेशी विभज्योतक (Intercalary Meristem): यह विभज्योतक पत्तियों और तनों के अंदर पाया जाता है और वृद्धि (Growth) और विकास (Development) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

मूलाग्र संगठन के विभिन्न वाद:

मूलाग्र (Root) पौधों का एक महत्वपूर्ण अंग होता है जो मिट्टी से जल और खनिज अवशोषित करता है। मूलाग्र की आंतरिक संरचना को लेकर वैज्ञानिकों के बीच कई मतभेद रहे हैं।

मुख्य मतभेद निम्नलिखित हैं:

  • ओल्डहाउस वाद (Oldhouse Theory): इस वाद के अनुसार, मूलाग्र में तीन मुख्य क्षेत्र होते हैं: केंद्रीय स्तंभ (Central Cylinder), कॉर्टेक्स (Cortex), और एपिडर्मिस (Epidermis)।
  • स्टेव वाद (Stele Theory): इस वाद के अनुसार, मूलाग्र में केवल दो मुख्य क्षेत्र होते हैं: केंद्रीय स्तंभ (Central Cylinder) और कॉर्टेक्स (Cortex)। एपिडर्मिस को कॉर्टेक्स का बाहरी भाग माना जाता है।
  • रॉयड वाद (Royd Theory): इस वाद के अनुसार, मूलाग्र में चार मुख्य क्षेत्र होते हैं: केंद्रीय स्तंभ (Central Cylinder), कॉर्टेक्स (Cortex), एंडोडर्मिस (Endodermis), और पेरिडर्म (Periderm)।

आधुनिक वैज्ञानिकों का मानना है कि रॉयड वाद मूलाग्र की संरचना का सबसे सटीक वर्णन करता है।


Q.7 असामान्य द्वितीयक वृद्धि क्या है? साल्वेडोत के तने में इसका वर्णन कीजिए।
What is anomalous secondary growth? Explain it on Salvadora Stem.

असामान्य द्वितीयक वृद्धि (Anomalous Secondary Growth)

परिभाषा:

असामान्य द्वितीयक वृद्धि (Anomalous Secondary Growth) द्वितीयक वृद्धि (Secondary Growth) का एक प्रकार है जो आम द्विबीजपत्री पौधों (Typical Dicot Plants) में पाए जाने वाले नियमित पैटर्न से भिन्न होता है। यह असामान्य कैम्बियम गतिविधि, असामान्य कैम्बियम स्थिति या दोनों के कारण हो सकता है।

कारण:

असामान्य द्वितीयक वृद्धि के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • आनुवंशिकी: कुछ पौधों में जीन (Genes) होते हैं जो कैम्बियम (Cambium) की गतिविधि और स्थिति को नियंत्रित करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप असामान्य द्वितीयक वृद्धि होती है।
  • पर्यावरणीय कारक: प्रकाश, तापमान, जल और मिट्टी की स्थिति जैसे पर्यावरणीय कारक भी कैम्बियम की गतिविधि को प्रभावित कर सकते हैं और असामान्य द्वितीयक वृद्धि का कारण बन सकते हैं।
  • हार्मोन: हार्मोन (Hormones) पौधों की वृद्धि और विकास को नियंत्रित करते हैं, और असंतुलित हार्मोन असामान्य द्वितीयक वृद्धि का कारण बन सकते हैं।

उदाहरण:

साल्वेडोरा (Salvadora) झाड़ी (Shrub) असामान्य द्वितीयक वृद्धि का एक उदाहरण है। इसमें, कैम्बियम (Cambium) संवहनी बंडलों (Vascular Bundles) के आसपास स्थित होता है, लेकिन यह वृत्ताकार (Circular) पैटर्न के बजाय असमान (Uneven) पैटर्न में द्वितीयक ऊतक (Secondary Tissue) का उत्पादन करता है।


Q.8 "पुष्प एक रुपांतरित प्ररोह है" इस कथन को प्रमाणित कीजिए।
"Flower is a modified shoot". Justify this statement.

पुष्प एक रूपांतरित प्ररोह है: प्रमाण

पुष्प (Flower) को रूपांतरित प्ररोह (Modified Shoot) माना जाता है क्योंकि यह प्ररोह (Shoot) की संरचना और विकास से विकसित होता है।

इस कथन को प्रमाणित करने के लिए, हम निम्नलिखित तर्कों का उपयोग कर सकते हैं:

1. स्थिति:

  • पुष्प प्ररोह के शीर्ष पर विकसित होता है।
  • यह तने (Stem) या शाखाओं (Branches) की नोक पर स्थित होता है।

2. विकास:

  • पुष्प कली (Bud) से विकसित होता है।
  • यह प्ररोह की टिप (Tip) पर बनने वाली एक छोटी संरचना होती है।
  • कली में अवकाशिक पत्तियां (Rudimentary Leaves) होती हैं जो पुष्पपत्रों (Floral Bracts) में विकसित होती हैं।

3. पत्तियों की उपस्थिति:

  • पुष्प में संशोधित पत्तियां होती हैं जिन्हें बाह्यदल (Sepals), दल (Petals), पुंकेसर (Stamens), और बाईंकेसर (Carpels) कहा जाता है।
  • बाह्यदल और दल संरक्षी पत्तियां (Protective Leaves) हैं जो प्रजनन अंगों (Reproductive Organs) की रक्षा करती हैं।
  • पुंकेसर और बाईंकेसर प्रजनन पत्तियां (Reproductive Leaves) हैं जो युग्मक (Gametes) का उत्पादन करती हैं।

4. अक्षीय संरचना:

  • पुष्प में अक्षीय संरचना (Axial Structure) होती है, जो प्ररोह की तरह होती है।
  • पुष्प में एक या अधिक अक्ष (Axes) होते हैं जिन पर पुष्पपत्र, फूल, पुंकेसर और बाईंकेसर जुड़े होते हैं।

5. संवहन पूलों की उपस्थिति:

  • पुष्प में संवहन पूल (Vascular Bundles) होते हैं जो जल और खनिज का परिवहन करते हैं।
  • ये संवहन पूल प्ररोह के संवहन पूलों से जुड़े होते हैं।

निष्कर्ष:

पुष्प में संरचना और विकास की कई विशेषताएं होती हैं जो प्ररोह के समान होती हैं।

यह पुष्टि करता है कि पुष्प एक रूपांतरित प्ररोह है।

हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि पुष्प में प्रजनन (Reproduction) का प्राथमिक कार्य होता है, जबकि प्ररोह का मुख्य कार्य वृद्धि (Growth) और पत्तियों (Leaves) का उत्पादन होता है।

इसलिए, पुष्प को प्ररोह का विशेष रूप से अनुकूलित रूप माना जाता है।


Q.9 परागण से आप क्या समझतें हैं? परागण के विभिन्न प्रकारों का विस्तृत वर्णन कीजिए । What do you mean by Pollination? Explain the Different type of Pollination.

परागण (Pollination) : परिभाषा और प्रकार

परागण (Pollination) एक महत्वपूर्ण जैविक प्रक्रिया है जिसमें पराग कण (Pollen Grain) एक फूल के परागकोष (Anther) से दूसरे फूल के वर्तिकाग्र (Stigma) तक स्थानांतरित होते हैं।

यह बीजपौधों (Seed Plants) के यौन प्रजनन (Sexual Reproduction) के लिए आवश्यक है।

परागण के दो मुख्य प्रकार होते हैं:

1. स्वपरागण (Autogamy):

  • यह एक ही फूल के परागकोष से वर्तिकाग्र तक पराग कणों का स्थानांतरण है।
  • स्वपरागण कई तरीकों से हो सकता है, जैसे कि:
    • स्व-स्पर्श: परागकोष सीधे वर्तिकाग्र को छूता है।
    • हवा: हवा पराग कणों को वर्तिकाग्र तक ले जाती है।
    • जल: जल पराग कणों को वर्तिकाग्र तक ले जाता है।
  • स्वपरागण आनुवंशिक विविधता (Genetic Diversity) को कम करता है, लेकिन यह परागण सुनिश्चित करता है, भले ही परागणक (Pollinator) अनुपस्थित हों।

2. परपरागण (Allogamy):

  • यह एक फूल के परागकोष से दूसरे फूल के वर्तिकाग्र तक पराग कणों का स्थानांतरण है।
  • परपरागण कई तरीकों से हो सकता है, जैसे कि:
    • पवन परागण (Anemophily): हवा पराग कणों को एक फूल से दूसरे फूल तक ले जाती है।
    • जल परागण (Hydrophily): जल पराग कणों को एक फूल से दूसरे फूल तक ले जाता है।
    • जीव परागण (Zoophily): परागणक, जैसे कि मधुमक्खियां, तितलियां, पक्षी, और बल्ले, पराग कणों को एक फूल से दूसरे फूल तक ले जाते हैं।
  • परपरागण आनुवंशिक विविधता (Genetic Diversity) को बढ़ाता है और संकर संतान (Hybrid Offspring) के उत्पादन की संभावना को बढ़ाता है।

परागण के महत्व:

  • बीज उत्पादन: परागण बीजों (Seeds) के उत्पादन के लिए आवश्यक है।
  • आनुवंशिक विविधता: परागण आनुवंशिक विविधता (Genetic Diversity) को बढ़ाता है, जो प्रजातियों (Species) को अनुकूल (Adapt) करने और परिवर्तन (Change) के लिए बेहतर बनाता है।
  • खाद्य श्रृंखला: परागण खाद्य श्रृंखला (Food Chain) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि यह पौधों (Plants) के उत्पादन को सुनिश्चित करता है, जो जीवों (Animals) के लिए भोजन का स्रोत हैं।


Q.10 बहुभ्रूणीयता से आप क्या समझतें हैं? यह किटने प्रकार की होती है? What do you mean by Polyembryony? Explain its types.

बहुभ्रूणीयता (Polyembryony): परिभाषा और प्रकार

बहुभ्रूणीयता (Polyembryony) एक दुर्लभ प्रजनन घटना है जिसमें एक ही बीजांड (Ovule) से एक से अधिक भ्रूण (Embryos) विकसित होते हैं।

यह आम तौर पर आवृतबीजी पौधों (Angiosperms) में होता है, हालांकि कुछ अनावृतबीजी पौधों (Gymnosperms) में भी इसका अवलोकन किया गया है।

बहुभ्रूणीयता के दो मुख्य प्रकार होते हैं:

1. विभाजन बहुभ्रूणीयता (Cleavage Polyembryony):

  • यह सबसे आम प्रकार की बहुभ्रूणीयता है।
  • इसमें, एक निषेचित अंडा (Fertilized Egg) विभाजित होता है और कई भ्रूण (Embryos) बनाता है।
  • उदाहरण: संतरा, नींबू, आम, लीची

2. अपस्थानिक बहुभ्रूणीयता (Adventitious Polyembryony):

  • यह एक दुर्लभ प्रकार की बहुभ्रूणीयता है।
  • इसमें, अंडा (Egg) के निषेचन के बिना बीजांड (Ovule) में अतिरिक्त भ्रूण (Embryos) विकसित होते हैं।
  • उदाहरण: ऑर्किड (Orchids)

बहुभ्रूणीयता के कारण:

बहुभ्रूणीयता के कारण अभी भी पूरी तरह से समझ में नहीं आए हैं, लेकिन कई संभावित कारकों को जिम्मेदार माना जाता है, जिनमें शामिल हैं:

  • आनुवंशिकी: कुछ पौधों में बहुभ्रूणीयता के लिए जीन (Genes) होते हैं।
  • पर्यावरणीय कारक: तापमान, प्रकाश, और पौष्टिक तत्व जैसे पर्यावरणीय कारक बहुभ्रूणीयता को प्रभावित कर सकते हैं।
  • हार्मोन: हार्मोन (Hormones) भ्रूण विकास (Embryo Development) को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और बहुभ्रूणीयता में योगदान दे सकते हैं।


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